आज पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी एक प्रॉब्लम को मैंने सुलझा लिया| मेरा बिजली का बिल जो आम तौर पर सात सौ रुपये से हज़ार रुपये के बीच में अक्सर आता है वो लाखों में आ गया था कुछ महीनों पहले| मेरा बिल अमाउंट आया – एक लाख 90 हजार समथिंग(something)| मैंने फिर बिजली ऑफिस में बात की तब पता चला की मेरी बिलिंग में गलती हुई है| मीटर रीडिंग जो 75 यूनिट से 120 यूनिट आती है वो 18000 यूनिट की यूनिट दर्ज कर दी गई थी और उनका हिसाब लाखों में आ गया|
अभी अगर मैंने अपने क्रेडिट कार्ड से ऑटो डेबिट लगाया होता तो मैं तो परेशान हो गया होता| एक बार जब पैसा कट जाता है तो उसको क्लेम करने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं पूंछो मत | ये तो मैंने सोच समझ कर ऑटो – डेबिट फैसिलिटी हटा ली है अपने बिल पे सेवाओं से जिसने मुझे बचा लिया| इसलिए मैं आपको भी यही कहूँगा कि आप भी अपने बिजली का बिल या कोई भी बिल पेमेंट करने से पहले यूज़ जांच परख लें| शायद अमाउंट इतना बड़ा था जिसने मुझे मजबूर कर दिया यूज़ देखने और उसकी जांच करने को| अगर यही अमाउंट 500 रुपये बढ़कर भी आता तो शायद मैं इसे नजर अंदाज़ कर देता |
इसलिए किसी भी बिल को ऑटो डेबिट से पे करने की बजाई थोडा समय निकालकर पे करें| सोचिये कुछ सालों पहले हम अपने बिल पे करने के लिए लम्बी लाइन्स में लगा करते थे| तो क्या अब हम कुछ मिनट निकालकर अपना बिल भी ठीक से नहीं पे कर सकते?
ऑटो-डेबिट ना जाने कितने पैसे हमारी जेब से निकालकर दूसरों को थमा देता है हमें पता ही नहीं चलता| OTT के सब्सक्रिप्शन, किसी हेल्थ आप का सब्सक्रिप्शन जो हम शायद कई महीनों से यूज़ नहीं कर रहे फिर भी उसका बिल भरे जा रहे हैं| शायद महीने दो महीने काटने पर पता न चले मगर यही पैसे जब साल- दो साल कट जाते हैं तो एक अच्छी-खासी रकम का रूप ले लेते हैं| इसलिए ऑटो-डेबिट मेरे हिसाब से जेब कतरे की तरह है इसे अपनी जेब ना काटने दें|
जो भी बिल आप पे करें उनका एक PDF निकाल कर अपने पास डॉक्यूमेंट कर ले| मैं तो यूज़ प्रिंट कर लेता हूँ और फिलिंग करके रख लेता हूँ| आप भी कर सकते हैं| पेपर वर्क आज भी भरोसे और सुकून को पैदा करता है| ऑटो – डेबिट के कारण जो पैसे कट जाते थे फिजूल में वो अब बच जायेंगे| इसलिए ऑटो-डेबिट नहीं लगाना सेविंग्स का एक अच्चा तरीका है| इसे अपनाये|
तो आज से ही नो ऑटो-डेबिट फॉर बिल पेमेंट्स|
हाँ अगर आपकी लोन्स की किश्त जा रही है तो उसको ऑटो-डेबिट से पे करते रहें| लोन के कागज तो आपने साइन करके दिए हैं| अगर ज्यादा पैसे कट भी जाते हाँ तो उसे आप आगे की पेमेंट्स से एडजस्ट भी करवा सकते हैं| इसलिए लोन में ऑटो-डेबिट को रोकने कि कोई जरुरत नहीं है|
हाँ आप ऑटो-डेबिट वहाँ भी करें जहां आपको सेविंग्स करने के मौके मिलें| जैसे मैंने अपने लिए मुचुअल फंड की SIP ली है और मैं SIP रूट से ही स्टॉक मार्किट में इन्वेस्ट कर रहा हूँ| SIP के जरिये पैसे फिक्स डेट को बैंक अकाउंट से कटकर मुचुअल फंड में चला जाता है और उतने के यूनिट्स खरीद लिए जाते हैं| ऐसे ही सैलरी से ही PF कट जाता है| वो भी एक तरह का ऑटो-डेबिट सुविधा ही है| मैंने अपने PF में एडिशनल PF भी कई साल तक कटवाए| उसकी बदौलत जब हमारी कंपनी ने नया सैलरी स्ट्रक्चर का ऐलान किया तो मुझे अरीअर्स के रूप में अच्चा खासा पैसा मिला जिसमे ऊपर से ब्याज भी कमा लिया|
इसलिए अब हम ये कह सकते हैं कि सेविंग्स को ऑटो-मोड पर रखें और जहां पर खर्च करना हो वहाँ से ऑटो-डेबिट हटा लें|
डेबिट कार्ड या फिर क्रेडिट कार्ड: कौन सा कार्ड रखना सही होता है| आइये इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि किस तरह हम डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के बीच के फायदे और नुक्सान को समझें| इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर आपको दोनों कार्ड के बीच के अंतर भी पता चलेगा|
देखिये बात शुरू करते हैं डेबिट कार्ड से| डेबिट कार्ड को हम क्यूँ रखें| सबसे पहले आप इस बात को समझें कि डेबिट कार्ड है क्या और बैंकिंग वाले कौन से काम हम डेबिट कार्ड से कर सकते हैं|
डेबिट कार्ड है क्या?
डेबिट कार्ड(Debit Card) एक प्लास्टिक से बना कार्ड होता है| डेबिट कार्बैंड को बैंक अकाउंट से जोड़कर बैंकिंग के काम बैंक ब्रांच से बाहर से भी कहीं से और कभी भी किये जा सकते हैं| मान लेते हैं कि आपके पास एक सेविंग बैंक अकाउंट है| आप चाहते हैं कि आप अपने बैंक अकाउंट से कहीं भी और कभी भी पैसे निकाल पायें| आप ये नहीं चाहते हैं कि सिर्फ पैसे निकालने आपको बैंक में आकर लम्बी लाइन में लगना पड़े और उससे पूरा दिन खराब हो| आप दिनभर की असुविधा और लम्बी लाइन में नहीं खड़ा होना चाहतेतो तो आप बैंक मेनेजर से मिलकर डेबिट कार्ड जरुर प्राप्त करें|
डेबिट कार्ड को इस्तेमाल करके पैसे निकलने के लिए जगह जगह एटीएम(ATM) मशीनें लगी मिलेंगी| ज्यादातर पब्लिक की भीड़ भाड़ वाली जगह पर आपको दो-चार एटीएम आराम से मिल ही जायेंगे| आपको बस अपना एटीएम(ATM) कार्ड उस एटीएम मशीन में डालना है और विधि पूर्वक आप पैसे निकाल पाएंगे|
डेबिट कार्ड को हम ये कह सकते हैं कि एक तरह की बैंकिंग सुविधा है जिसमे आप अपने बैंक अकाउंट में जमा पैसे आसानी से और अपनी सुविधा अनुसार निकाल सकते हैं| आपको पैसे निकालने के लिए बैंक जाने की कोई जरुरत नहीं पड़ेगी|
डेबिट कार्ड से पैसे निकालने के अलावा और क्या कर सकते हैं?
जैसे कि अब आप जान गए हैं कि डेबिट कार्ड आपके बैंक अकाउंट से लिंक रहता है तो आप बैंक अकाउंट में कई सारे काम भी कर सकते हैं| आइये जानते हैं उन कुछ सुविधओं के बारे में| ध्यान दें कि ये सुविधाएँ किसी बैंक में ज्यादा तो किसी बैंक में कम हो सकती हैं| डेबिट कार्ड से जुडी सुविधाएँ इस बात पर भी निर्भर करेंगी कि आपने किस तरह का डेबिट कार्ड लिया है| डेबिट कार्ड कई रूप, रंग और अलग अलग सुविधाओं के साथ आते हैं|
(SBI डेबिट कार्ड्स और उनसे जुडी सुविधाओं के बारे में जानने के लिए यहाँ लिक्क करें
सबसे पहली सुविधा जो आपको डेबिट कार्ड पर मिलती है पैसे निकलने के अलावा वो है – अपने अकाउंट में बैलेंस की जानकारी| जी हाँ आप जब चाहे अपना कार्ड स्वाइप(Swipe) करके अपना बैलेंस जान सकते हैं|
दूसरी सुविधा होती है फण्ड ट्रान्सफर(Fund Transfer) की| आप अपने बैंक अकाउंट से किसी दूसरे के बैंक अकाउंट में पैसे ट्रान्सफर कर सकते हैं| ध्यान रहे कि दोनों बैंक अकाउंट एक ही बैंक के हों| अगर आप एक बैंक से दूसरे बैंक में फंड्स ट्रान्सफर करना चाहते है जो फ़ास्ट भी हो और सुविधाजनक तो आप NEFT/RTGS सेवाएँ यूज़ कर सकते हैं|
(जानें कैसे फण्ड ट्रान्सफर कर सकते हैं आप एक बैंक से दूसरे बैंक में बिना चेक लिखे या कैश जमा किये)
तीसरा इस्तेमाल जो आप डेबिट कार्ड से कर सकते हैं वो है चेक बुक डिमांड| आप अपने बैंक के एटीएम मशीन से चेक बुक आर्डर कर सकते हैं| आपकी चेक बुक कुछ ही दिनों में आपके घर पहुँच जाएगी| आपको कोई जरुरत नहीं है अपने बैंक ब्रांच जाने की|
चौथा इस्तेमाल आप जो एटीएम कार्ड का कर सकते हैं वो है कि आप अपने एटीएम कार्ड से अपने लोन खाते का पेमेंट(Payment) कर सकते हैं| आपको अपना लोन चुकाने के लिए बार-बार बैंक नहीं भागना पड़ेगा| बस आप अपने बैंक के निकटतम एटीएम में जाएँ और अपने लोन खाते में पैसा ट्रान्सफर कर दें| आपको इसके लिए अपना लोन खाता का नंबर पता होना चाहिए| पांचवां इस्तेमाल है डेबिट कार्ड का पिन(PIN) बदलना| अगर आपको अपने डेबिट कार्ड का पिन बदलना हो तो आप वो काम भी आसानी से एटीएम मशीन में डेबिट कार्ड की मदद से कर सकते हैं|
अब आते हैं पांचवें इस्तेमाल पर: डेबिट कार्ड से आप ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं| ऑनलाइन ट्रेन या प्लेन की टिकट, होटल की बुकिंग, बिजली बिल, टेलीफोन बिल या गैस के बिल का भुगतान और ना जाने कितने ही ऑनलाइन होने वाले कामों के लिए आप अपना डेबिट कार्ड यूज़ कर सकते हैं|
(यहाँ क्लिक करें “डेबिट कार्ड ऑनलाइन शॉपिंग” जानने के लिए)
डेबिट कार्ड से अपनी गाड़ी में आप पेट्रोल भरवा सकते हैं| जी हाँ, डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कैशलेस पेमेंट(Cashless Payment) के लिए कर सकते हैं| आपको मर्चेंट(Merchant) के पेमेंट टर्मिनल(Terminal) पर अपना कार्ड स्वाइप करना है और बस!
(यहाँ क्लिक करें जानने के लिए: “डेबिट कार्ड से कैशलेस पेमेंट कैसे करें)
इस तरह आपने देखा कि डेबिट कार्ड बैंकिंग से जुड़े कार्यों के लिए कितना फायदेमंद है| इसलिए हम सभी के पास अपना डेबिट कार्ड तो होना ही चाहिए|
अब आते हैं क्रेडिट कार्ड पर और जानते हैं कि क्या क्रेडिट कार्ड डेबिट कार्ड से ज्यादा फायदे देता है या नहीं|
क्रेडिट कार्ड से जुड़ी बातें
क्रेडिट कार्ड(Credit Card) के बारे में सबसे पहले ये जान लेते हैं कि क्रेडिट कार्ड में जो क्रेडिट शब्द है उसका मतलब: उधार(Loan)| क्रेडिट कार्ड में क्रेडिट शब्द ये बता रहा है कि ये कार्ड आपको उधार देने और उधारी में पैसों के इस्तेमाल वाला कार्ड है|
दूसरी बात ये कि क्रेडिट कार्ड आपको अपने बैंक अकाउंट पर कोई मदद नहीं करता है| हालाँकि क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड सुनने में ऐसे लगते हैं जैसे मान लीजिये कि दोनों एक ही फल की दो अलग-अलग किस्मे हैं| मगर ऐसा बिलकुल नहीं है| दोनों आम की दो अलग-अलग किस्मे नहीं हैं बल्कि एक आम है तो दूसरा अंगूर|
इसलिए चलिए इसी दिशा में चर्चा को आगे बढ़ाते हैं और समझते हैं कि किस तरह क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड बिलकुल अलग-अलग कार्ड हैं |
आपके नहीं, बैंक के पैसे
क्रेडिट कार्ड में आपके पैसे नहीं बैंक के पैसे उधार में मिलते हैं| जब आप डेबिट कार्ड यूज़ करेंगे तो आप अपने अपने खुद के पैसे यूज़ करते हैं| आप वो पैसे यूज़ करते हैं जो आपने सेविंग बैंक में रखे हैं| लेकिन जब आप क्रेडिट कार्ड यूज़ करेंगे तब आपको बैंक की तरफ से पैसे मिलेंगे| वो आपके पैसे नहीं होंगे| आप क्रेडिट कार्ड से अपना बैंक अकाउंट लिंक नहीं कर सकते|
क्रेडिट कार्ड पर ब्याज लगता है
क्रेडिट कार्ड में क्यूंकि आप पैसे उधार लेकर इस्तेमाल करेंगे तो आपको उन पैसों पर ब्याज चुकाना होता है| क्रेडिट कार्ड पर ब्याज अन्य लोन की तुलना में कहीं अधिक रहता है| क्रेडिट कार्ड पर ब्याज की दर 2 से 3 प्रतिशत हर महीने हो सकती है|
अक्सर हम सालाना ब्याज दर में बताते हैं| इस लिए आप कह सकते हैं कि आपको सालाना 24 प्रतिशत से लेकर 36 प्रतिशत या उससे भी अधिक हो सकता है|
क्रेडिट कार्ड से कैश निकाल सकते हैं, मगर ब्याज पर
जैसे आप डेबिट कार्ड का यूज़ करके एटीएम मशीन से पैसे निकल लेते हैं, वैसे ही आप क्रेडिट कार्ड से भी एटीएम मशीन पर जाकर कैश निकल सकते हैं| फरक ये आ जाता है कि क्रेडिट कार्ड में से आप जो पैसा कैश निकालेंगे उसके ऊपर आपको रोजाना के दर पर ब्याज चुकाना पड़ेगा| क्रेडिट कार्ड से पैसे निकलने को कैश एडवांस कहते हैं और इस पर लगे ब्याज को कैश एडवांस फीस (Cash Advance Fees)कहते हैं|
क्यूंकि क्रेडिट कार्ड आपके बैंक से लिंक नहीं है, आप क्रेडिट कार्ड से कोई भी बैंक से जुड़े काम नहीं कर पाएंगे|
क्रेडिट कार्ड क्यों लें
जब क्रेडिट कार्ड हमें कोई भी बैंकिंग के काम के लिए यूज़ नहीं आता तो क्या क्रेडिट कार्ड लेना चाहिए?
यदि आप अपने पैसों से अपने सारे काम कर लेते हैं तो क्रेडिट कार्ड की कोई जरुरत नहीं पड़ेगी| फिर भी क्रेडिट कार्ड के कुछ ऐसे नायाब इस्तेमाल हैं जिसकी जरुरत आपको पड़ सकती है|
क्रेडिट कार्ड पर भारी डिस्काउंट और कैशबैक
क्रेडिट कार्ड आपको ऑनलाइन शौपिंग और कैशलेस पेमेंट पर शानदार डिस्काउंट दिलवा देता है| आप ध्यान देना कि अमेज़न, फ्लिप्कार्ट, मिनट्रा जैसी शॉपिंग साइट्स पर डिस्काउंट और कैशबैक के ऑफर लाते रहता है|
क्रेडिट कार्ड से क्रेडिट स्कोर में सुधार
क्रेडिट कार्ड में यदि नियमित रूप से पैसे खर्च करते हैं और समय-समय पर नियमित रूप से भुगतान भी कर देते हैं तो आपकी क्रेडिट स्कोर को आप सुधार सकते हैं| और ये सिर्फ क्रेडिट कार्ड से ही संभव है| डेबिट कार्ड से नहीं| कई क्रेडिट एक्सपर्ट्स की यही सलाह भी रहती है कि आप अपना क्रेडिट स्कोर क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल से सुधार कर अपना क्रेडिट स्कोर बढ़ा सकते हैं|
आपदा में संकट मोचन है क्रेडिट कार्ड
क्यूँ ब्याज दें जब हम अपने बैंक अकाउंट में पैसे रखें हैं| मगर कभी कभी जब कोई आपदा या संकट की घडी दस्तक देती है तब आपके पास समय नहीं रहता बैंक जाने का, अपनी FD और RD तुडवाने का| ऐसे समय में अगर क्रेडिट कार्ड आपके हाथ में है तो किसी भी आपदा से पूरे आत्मविश्वास से आप लड़ सकते है और निपट सकते हैं|
क्रेडिट कार्ड की भारी मान्यता
यदि आप डेबिट कार्ड का यूज़ करते हैं तो हो सकता है कि कहीं पर आपको यूज़ इस्तेमाल करने में समस्या आ जाये| आपका डेबिट कार्ड कई जगहों पर स्वीकार ना किया जाए| लेकिन क्रेडिट कार्ड के साथ ऐसा नहीं है| क्रेडिट कार्ड से आप ज्यादा से ज्यादा जगहों पर पेमेंट कर सकते हैं|
कई बार अन्तराष्ट्रीय पेमेंट करने में डेबिट कार्ड काम नहीं करता| लेकिन क्रेडिट कार्ड में ऐसी कोई समस्या नहीं आती| आप बड़ी सहूलियत से क्रेडिट कार्ड का यूज़ करके पेमेंट कर पाएंगे|
क्रेडिट कार्ड का सबसे बड़ा नुक्सान है कि अगर आप बैंक के ब्याज का पेमेंट समय पर चुकता नहीं कर पाए तो आपको बड़ी भरी मात्र में ब्याज भरना पद सकता है| लेकिन आप यदि अनुशासन में इस्तेमाल करेंगे तो ऐसी कोई भी समस्या नहीं आएगी|
व्यक्तिगत तौर पर मुझे ऐसा लगता है कि हमें दोनों – क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड दोनों ही रखने चाहिए| और जिसका जैसा जब उपयोग सामने आये वैसा उपयोग करना चाहिए|
हम ऐसा क्या करें कि हम अपनी ऑनलाइन बैंकिंग को सुरक्षित रख साखें| आइये इस पोस्ट में जानें कि कैसे हम अपनी इन्टरनेट बैंकिंग सेवाओं को सेफ रख सकते हैं इन 10 सुन्दर टिप्स के जरिये:
अपना निजी लैपटॉप या डेस्कटॉप ही इस्तेमाल करें
ऑनलाइन बैंकिंग के लिए सबसे पहले तो आप अपने निजी डेस्कटॉप या लैपटॉप का हिज इस्तेमाल करें| करी बार ऐसा होता है कि हमारी संवेदन शील जानकारी जैसे login id और पासवर्ड इन्टरनेट ब्राउज़र की कूकीज में जाकर सेव ह जाती हैं| और कूकीज से कोई भी उस जानकारी को आसानी से हैक कर सकता है|
इसलिए आप अपना स्वयं का ही डेस्कटॉप या लैपटॉप का इस्तेमाल करें ताकि आपकी जानकारी सुरक्षित रह सके|
पब्लिक नेटवर्क का इस्तेमाल इन्टरनेट बैंकिंग के लिए ना करें
कई बार हम जब रेलवे स्टेशन पर या एअरपोर्ट पर होते है तो वहां पर उपलब्ध पब्लिक वाई-फाई का इसेतमाल करते हैं| ऐसी जगहों पर ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल ना करें| पब्लिक नेटवर्क से कोई भी आपके login डिटेल्स को चुरा सकता है| हमेशा प्राइवेट वाई-फाई नेटवर्क का ही इस्तेमाल करें| आप सदैव सुरक्षित रहेंगे|
ऑनलाइन बैंकिंग के लिए सेफ्टी लॉक जरुर चेक करें
ऑनलाइन बैंकिंग को सुरक्षित बनाने के लिए वेब एड्रेस को लॉक कर दिया जाता है ताकि कोई भी फर्जी address बनाकर आपके login डिटेल्स ना चुरा ले| इसलिए जब भी आप address bar में अपना ऑनलाइन बैंकिंग का URL टाइप करेंगे वो URL एक्टिव होने के बाद एक सेफ्टी लॉक प्रदर्शित करेगा| कुछ इस तरह:
इस सेफ्टी लॉक के मौजूद होने पर ही आगे बढ़ें| अगर आपको address bar में URL में सेफ्टी लॉक न दिखाई दे तो आप उस वेबसाइट पर अपना login डिटेल्स शेयर ना करें| वो आपके लिए घातक हो सकता है|
ऑनलाइन बैंकिंग के पासवर्ड समय समय पर बदलते रहें
सेफ बैंकिंग की टॉप टिप में सर्वप्रथम यही बात आती है कि आप अपने पासवर्ड समय समय पर बदलते रहें| समय समय पर पासवर्ड बदलने से गलती से हुई गलती में यदि कही आपने अपने login दडिटेल्स यदि कहीं पब्लिक नेटवर्क पर शेयर कर लिए होंगे या किसी को पता चल भी गया होगा तो आपको पासवर्ड बदलने से सेफ्टी मिलेगी| आपके बैंकिंग डिटेल्स की गोपनीयता बनी रहेगी|
अपना ईमेल और अपना मोबाइल नंबर जरुर रजिस्टर करवाएं
अपने बैंक में aपना मोबाइल नंबर जरुर रजिस्टर करवाएं| अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर कराकर आप अपने अकाउंट के लेन-देन की जानकारी एस एम एस अलर्ट सेवा से प्राप्त करते रहेंगे| यदि कोई आपकी login डिटेल्स से छेद खानी करने की कोशिश करेगा तो आपको तुरंत उसकी खबर एस एम एस सेवा से प्राप्त हो जाएगी|
वर्चुअल की बोर्ड का इस्तेमाल करें
आपक इन्टरनेट बैंकिंग में यदि वर्चुअल कीबोर्ड की सेवा दी गई हो तो उसे जरुर इस्तेमाल करें| वर्चुअल की बोर्ड ठीक पासवर्ड डालने की जगह के सामने दिया जाता है| इस कीबोर्ड को इस्तेमाल करने के लिए आप माउस का इस्तेमाल करते हैं और वर्चुअल कीबोर्ड के अक्षर हर बार अपनी जगह बदल देते हैं| इससे आपके login डिटेल्स को कोई कीबोर्ड की मदद से हैक नहीं कर पायेगा|
वर्चुअल कीबोर्ड कुछ इस तरह होता है:
एंटी-वायरस वाले कंप्यूटर पर ही login करें
आप जिस किसी भी कंप्यूटर या लैपटॉप का यूज़ करते हैं उस पर एंटी-वायरस सॉफ्टवेर डलवाना सुनिश्चित करें| एंटी-वायरस सॉफ्टवेर आपके कंप्यूटर पर निहित जानकारी को किसी भी बाहर के आक्रमण से सुरक्षित रखता है| कई बार हैकर्स ईमेल, वेबलिंक्स, विडियो लिंक्स के जरिये नुक्सान दायक सॉफ्टवेर प्रोग्राम आपके कंप्यूटर पर इंस्टाल करने की कोशिश कर सकते हैं| ऐसे सॉफ्टवेर को वायरस कहा जाता है जो आपकी जानकारी चुराने में मदद करते हैं|
इसलिए अपने कंप्यूटर पर एंटी-वायरस सॉफ्टवेर जरुर इनस्टॉल कराएं| यहाँ पर आपको नीचे कुछ लिंक्स दिए हैं जो आपको एंटी-वायरस सॉफ्टवेर की जानकरी दे रहे हैं|
आइए इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेंगे कि क्रेडिट कार्ड क्या होता है और उसके बाद जानेंगे कि क्रेडिट कार्ड को हम कैसे इस्तेमाल करें।
क्रेडिट कार्ड क्या है ?
क्रेडिट कार्ड को आम तौर पर हम एक कार्ड के रूप में ही देखते हैं। ये एक डेबिट कार्ड की तरह ही दिखता है और इसका इस्तेमाल भी डेबिट कार्ड की तरह ही किया जाता है। लेकिन फिर भी ये डेबिट कार्ड नहीं कहलाता!
क्रेडिट कार्ड में पहला शब्द जो कि क्रेडिट है , ये अंग्रेज़ी का शब्द है जिसका बैंकिंग भाषा में मतलब होता हैं लोन या उधार। आपका डेबिट कार्ड आपको अपने ही बैंक खाते से पैसे निकालने देता हैं। क्रेडिट कार्ड ठीक उसका उल्टा करता है। क्रेडिट कार्ड में जो राशि उपयोग में लाई जाती है वो उधार की होती है।
क्रेडिट कार्ड की राशि बैंक के द्वारा आपको दी जाती है। है ना दिलचस्प। Just like a debit card!
इस तरह क्रेडिट कार्ड एक ऐसा कार्ड है जो आपको बैंक से उधारी पर राशि उपयोग करने की सुविधा देता है। कुछ नियम और शर्तों के साथ।
क्रेडिट कार्ड पर कितना उधार मिल जाता है
क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाली राशि की लिमिट बांधी जाती है। कहने का मतलब है कि क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाली राशि निर्धारित की जाती है। इसे क्रेडिट लिमिट कहते हैं। आप क्रेडिट लिमिट तक कार्ड को यूज कर सकते हैं। कितनी भी बार , बार बार ।
कितनी बार , बार बार कैसे ?
क्रेडिट कार्ड पे आप को बैंक से पैसा उधार मिलता है। इसको चुकाने का तरीका समझते हैं अब,
लेकिन उसके पहले कुछ बातें आपको बताना चाहूंगा:
क्रेडिट साइकल
क्रेडिट कार्ड की एक स्टेटमेंट साइकल होती है। जैसे बिजली का बिल , आपके पोस्ट पैड फोन का बिल, बच्चों की स्कूल की फीस की समय अवधि निर्धारित की जाती है वैसे क्रेडिट कार्ड का भी एक निर्धारित चक्र होता है। आम तौर पर ये क्रेडिट चक्र 30 से 45 दिनों का होता है।
इसी समय निर्धारित चक्र को क्रेडिट साइकल या क्रेडिट चक्र कहते हैं।
फाइनेंस चार्ज
क्रेडिट कार्ड पर लगने वाले ब्याज को जिनसे चार्ज कहते हैं। फाइनेंस चार्ज क्रेडिट कार्ड की स्टेटमेंट पर दर्शाया जाता हैं।
कार्ड स्टेटमेंट
क्रेडिट साइकल पूरी होते ही उस समय अवधि की स्टेटमेंट जारी होती है। ये स्टेटमेंट क्रेडिट कार्ड पर हुए ट्रांजेक्शन, लगाए गए चार्जेज, रिफंड, रिवार्ड पॉइंट्स इत्यादि दर्शाती है।
अब आते हैं कि क्रेडिट कार्ड को कितनी बार और कैसे इस्तेमाल करते हैं।
क्रेडिट कार्ड को आप कैश और नॉन कैश, दोनो तरह के ट्रांजेक्शन के लिए इस्तेमाल करते हैं। आम तौर पर क्रेडिट कार्ड को ऑनलाइन और ऑफलाइन शॉपिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो नॉन कैश की कैटेगरी में आयेंगे।
ऑनलाइन में आप अपना क्रेडिट कार्ड amazon, Flipkart, Myntra, Zomato, Ola या किसी और भी ऑनलाइन वेबसाइट या मोबाइल ऐप से शॉपिंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। आप क्रेडिट कार्ड से रेल टिकट, फ्लाइट टिकट, बस टिकट भी बुक कर सकते हैं।आप ऑनलाइन फीस जमा कर सकते हैं और बिजली, पानी, इंश्योरेंस का भुगतान भी कर सकते हैं। आप क्रेडिट कार्ड से अपना JIO का डाटा पैक भी रिचार्ज चार्ज कर सकते हैं।
मतलब आज की ऑनलाइन दुनिया में क्रेडिट कार्ड जिंदाबाद।
जब आप किसी दुकान में जाते हैं तो वहां पर भी जो स्वाइप करने वाली मशीन रहती है , उस पर भी आप क्रेडिट कार्ड स्वाइप करके पेमेंट कर सकते हैं।
आप अपनी गाड़ी में पेट्रोल भरवा सकते हैं। जो पेट्रोल पंप वाला होता है उसके पास POS मशीन होती है जिस पर क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन किया जाता है।
पेट्रोल पंप पर कार्ड से पेमेंट
क्रेडिट कार्ड से कैश एडवांस
क्रेडिट कार्ड से आप कैश भी निकाल पाते हैं। आपको क्रेडिट कार्ड से पैसे निकालने के लिए एटीएम जाना होगा। एटीएम पर आप जैसे डेबिट कार्ड से पैसे निकालते हैं उसी तरह से क्रेडिट कार्ड को कार्ड स्लॉट में डालकर , दिए गए पिन को डालकर पैसे निकाल सकते हैं।
बस ध्यान रहे की क्रेडिट कार्ड से कैश की सेवा आपको महंगी पड़ेगी। इसलिए बहुत ही जरूरी हो तभी क्रेडिट कार्ड से कैश निकालें।
क्रेडिट कार्ड की लिमिट कैसे तय होती है
जैसे कि आपको पहले बताया गया कि आप के क्रेडिट कार्ड पर आपको एक निर्धारित राशि मिलेगी। इसे कार्ड की लिमिट कहते हैं।
इस लिमिट को तय किया जाता है आपकी इनकम को ध्यान में रखते हुए। क्रेडिट कार्ड की लिमिट फिक्स करने का कोई एक फॉर्मूला नहीं है। क्रेडिट कार्ड देने वाला बैंक अपनी एनालिसिस करके कार्ड पर लिमिट देगा मगर जितनी ज्यादा आपकी महीने की या साल की इनकम होगी, आपकी कार्ड लिमिट की उतनी ज्यादा पात्रता बनेगी।
क्रेडिट कार्ड के लिए कैसे अप्लाई करें
देश में कई बैंक और कई सारी क्रेडिट कार्ड कंपनियां है जो क्रेडिट कार्ड देती हैं। आप किसी भी कार्ड कंपनी या अपने बैंक जहां आपका बैंक अकाउंट है , वहां से क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं।
आप एक से ज्यादा बैंक का क्रेडिट कार्ड भी रख सकते हैं। बस ध्यान रहे की क्रेडिट कार्ड का पैसा बैंक की उधारी है जिसे आपको चुकाना होगा। इसलिए कार्ड की लिमिट और इस्तेमाल बहुत सोच समझ के करें।
कई लोग क्रेडिट कार्ड को खतरा मानते हैं , क्यों ?
ये शिकायत बहुत सारे क्रेडिट कार्ड यूजर्स की होती है कि क्रेडिट कार्ड का उसे करके वो क्रेडिट ट्रैप में फंस गए हैं। इसकी वजह होती है की वो क्रेडिट कार्ड को सही तरह से इस्तेमाल करना नहीं जानते। वही बात हो गई कि नाच ना जानो तो आंगन टेढ़ा ही मिलेगा।
क्रेडिट कार्ड को मैने भी इस्तेमाल किया है और सच बताऊं तो मेरे पहले क्रेडिट कार्ड के साथ मेरा भी अनुभव बड़ा बेकार रहा। मैंने जैसे तैसे करके उसे बंद किया। मैंने फिर क्रेडिट कार्ड को सही सही तरह इस्तेमाल करना सीखा और अब मेरा दूसरा कार्ड मेरे लिए एक वरदान साबित हो रहा है क्योंकि मैं अब कार्ड को इस्तेमाल सोच समझकर करता हूं।
जो लोग क्रेडिट कार्ड के खिलाफ शिकायत करते हैं वो सबसे बड़ी गलती ये करते हैं की वो क्रेडिट कार्ड को डेबिट कार्ड की तरह इस्तेमाल करते हैं।
क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल शुरू करने से पहले आप कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें , जैसे :
आपको पता होना चाहिए कि आके क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट साइकल कितने दिनों की है और कब से कब तक है। आपको क्रेडिट साइकल के बारे में इसलिए पता होना चाहिए क्योंकि उससे आप क्रेडिट कार्ड का पेमेंट सही समय पर कर पाएंगे।
दूसरी बात ये है कि कार्ड का पेमेंट जैसे ही क्रेडिट साइकल खत्म हो , तुरंत और पूरी राशि का कर दें। ऐसा करने से आपको ब्याज नहीं देना पड़ेगा। हम गलती ये कर बैठते हैं कि क्रेडिट कार्ड पर पेमेंट पूरा नहीं करते।
क्रेडिट कार्ड में और एक आम लोन में ये एक बहुत बडा फर्क है कि कार्ड पर आप यदि पार्ट पेमेंट करते हैं तो भी ब्याज पूरे अमाउंट पर लग जाता है और फिर ब्याज पर ब्याज लगते लगते बहुत ज्यादा ब्याज देना पद जाता है।
इस ब्लॉग पोस्ट में जानेंगे की केपिटल गेन अकाउंट क्या होता है और इसके क्या फायदे हैं |
रमेश ने अभी कुछ दिनों पहले अपनी एक प्रॉपर्टी जो दूसरे शहर में थी, उसे बेंच दी है| दूसरे शहर में दिक्कतें आ रहीं थीं| सो अब वो चाहता है कि उसी पैसों से वो अपने खुद के शहर में कोई अच्छी सी प्रॉपर्टी खरीदे|
लेकिन फिलहाल उसे बेंचने के लिए खरीदार मिल गया और अच्छे दाम मिल रहे थे | तो उसने प्रॉपर्टी निकल दी | और उसे उसके लिए एक मोटी रकम मिली है| इतनी रकम को वो नई प्रॉपर्टी में लगाना चाहता है लेकिन फिलहाल वो प्रॉपर्टी खोज रहा है |
इस लिए वो चिंतित है कि जो उसके पास इतना बड़ा फंड आया है उसे टैक्स से तब तक कैसे बचाए| तो क्या कोई उपाय है जिससे उसकी ये प्रॉब्लम हल हो सकती है|
केपिटल गेन क्या है
तो सबसे पहले जान लेते हैं कि रमेश के पास जो प्रॉपर्टी सेल से पैसा आया उसे Income tax की भाषा में कौन सी इनकम में कैसे categorize करते हैं |
जब कभी इस तरह से प्रॉपर्टी की सेल करने से पैसे मिलते हैं उसे केपिटल गेन की कटेगरी में रखा जाता है| और केपिटल गेन के ऊपर टैक्स के लिए अलग से नियम हैं|
इनकम टैक्स के नियम (इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 54 के अनुसार) में एक प्रोविजन ये है कि यदि केपिटल गेन को फिर से प्रॉपर्टी खरीदने में इस्तेमाल करेंगे तो उस पर कोई टैक्स नहिं लगेगा| इसके लिए तब तक आपको ये पैसे एक ऐसे अकाउंट में रखने होंगे जिस पर आपको टैक्स ना लगे|
इस तरह की जरूरत को पूरा करने के लिए बैंक में केपिटल गईं अकाउंट खोलने की सुविधा होती है| आपको बैंक में केपिटल गेन से मिले पैसे को रखने में और उस पर टैक्स बचाने के लिए इससे बढ़िया दूसरा विकल्प नहीं |
केपिटल गेन अकाउंट की बैंक में सुविधा
केपिटल गेन को बैंक में आप डिपॉजिट करके तब तक रख सकते हैं जब तक आप उस पैसे से दूसरी कोई प्रॉपर्टी ना ले लें | लेकिन ये समय अवधि की समय सीमा अधिकतम 3 साल है|
आप 3 साल तक के लिए केपिटल गेन अकाउंट डिपॉजिट स्कीम में पैसे रख सकते हैं | इन्हीं तीन सालों में आप उन पैसों से नई प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं| इस दौरान जो भी ब्याज बनेगा उस पर आपको कोई भी टैक्स नहिं देना होगा|
केपिटल गेन अकाउंट कैसे खोलें
केपिटल गईं अकाउंट स्कीम में पैसे जमा करने के लिए आपको किसी भी सरकारी बैंक में जाना है| वहाँ पर आपको उनसे ये बात बतानी होगी कि आप केपिटल गेन खाता खुलवाना चाहते हैं|
केपिटल गेन अकाउंट को आप सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में खोल सकते हैं| इस तरह केपिटल गेन अकाउंट के लिए आपको वही फॉर्म भरना होगा जो आप समान्य सेविंग या फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट को खुलवाने के लिए यूज करते हैं|
और उसके साथ आपको एक फॉर्म अलग से भरना होगा जिसमें आप अपने कैपिटल गेन के स्रोतों के बारे में बताएंगे|इस फॉर्म को इनकम टैक्स ऐक्ट के तहत भरवाया जाता है|
SBI Capsgain plus account
भारतीय स्टेट बैंक में आप केपिटल गेन के लिए SBI Capsgain plus अकाउंट खुलवा सकते हैं|
SBI में अकाउंट खोलने के लिए आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें :
पूरी दुनिया डिजिटल मय हो गई है | अब करेंसी को भी डिजिटल होने का समय आ गया है | इसलिए, आज दिनाँक 1 दिसंबर 2022 से भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी का सर्कुलेशन शुरू करने जा रहा है|
आइए इस ब्लॉग पोस्ट में जानते हैं कि ये डिजिटल करेंसी क्या है और कैसे काम करेगी|
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)
डिजिटल करेंसी भारतीय मुद्रा, इंडियन रूपए का डिजिटल रूप है| मतलब यह कि इसे आप हाथ से छु तो नहिं पाएंगे जैसे कागज के नोट और सिक्कों को छु पाते हैं लेकिन ये काम हू बहु वैसे ही करेंगे |
जैसे एक रुपये की CBDC का मूल्य काग़ज़ के एक रुपये के बराबर होगा|
डिजिटल दुनिया में हम अपने बहुत सारे काम अब अपने मोबाइल पर करते हैं| मोबाइल जो स्मार्ट हो गया और जिसे हम अब स्मार्ट फोन कह्ते हैं तक़रीबन सब कुछ करने के काबिल है| वही सबसे बड़ी वजह है कि डिजिटल करेंसी को इस्तेमाल करने का भी समय आ गया है|
डिजिटल करेंसी भारतीय नागरिक तक कैसे पहुंचेगी
रिजर्व बैंक को मुद्रा छापने के अधिकार होते हैं| भारतीय मुद्रा को रिजर्व बैंक के सिवा और कोई नहिं छाप सकता या बांट सकता है | भारतीय रिजर्व बैंक की मुद्रा छापने के लिए प्रेस हैं जहां पर कागज के नोट और सिक्के छापे जाते हैं और फिर उन्हें बैंकों को भेजा जाता है|
बैंक फिर उस पैसे को आम नागरिक तक पहुंचाती है|
ठीक उसी तरह रिजर्व बैंक का रोल डिजिटल करेंसी में भी रहेगा लेकिन थोड़ा हटके| आइए समझते हैं कैसे?
डिजिटल टोकन
सबसे पहले रिजर्व बैंक कागज की करेंसी के बजाय टोकन इशू करेंगे जिन्हें डिजिटल टोकन कहेंगे| ये डिजिटल टोकन कोड के रूप में होंगे और इनको बैंकों को भेज दिया जाएगा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से|
ये डिजिटल टोकन ठीक उन्हीं काग़ज़ की नोटों के जैसे इशू किए जाएंगे| जैसे 5 रुपये की जगह अब 5 रुपये का डिजिटल टोकन हुआ करेगा| 10 रुपये की जगह 10 रुपये का, 50 रुपये की जगह पचास रुपये का डिजिटल टोकन इत्यादि|
अब जब ये डिजिटल टोकन इशू होगा तो लोग चाहेंगे कि उन्हें ये टोकन प्राप्त हो तो वो बैंक के डिजिटल वॉल्ट से सीधा बैंक खाताधारक के खाते में ट्रांसफ़र कर दिया जाएगा| कस्टमर चाहे तो उसे अपने डिजिटल wallet जैसे PayTM, PhonePe में या फिर उसे अपने बैंक अकाउंट में कैश की तरह रख पाएंगे|
उसके अलावा डिजिटल टोकन को QR कोड की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकेगा|
शुरुआत कैसे की जाएगी
शुरुआत में अभी ये डिजिटल टोकन या डिजिटल करेंसी जिसे हम CBDC या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के नाम से जानेंगे अभी सिर्फ CUG में इस्तेमाल में आयेगी|
मतलब ये कि अभी इसे जान मानस तक पहुंचने में कुछ समय लगेगा| CUG मतलब closed user group में इसे इस्तेमाल में लाया जाएगा| CBDC को अभी चुनिंदा शहरों में स्टार्ट कर रहे हैं|
Phase 1 डिजिटल करेंसी
अभी इसे टेस्टिंग और फीडबैक के लिए दो चरणों में कुछ select बैंकों में ही चुनिंदा शहरों में स्टार्ट किया जा रहा है| पहले फेस में तीन बैंक – SBI, HDFC और IDFC First को ही डिजिटल टोकन उनके डिजिटल वॉल्ट में रखे जाएंगे| और ये डिजिटल करेंसी सिर्फ चार शहरों में – मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर और भुवनेश्वर में स्टार्ट किया जाएगा|
Phase 2 डिजिटल करेंसी
फिर ये करेंसी दूसरे फेस में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोचीन, लखनऊ, पटना और शिमला में और जो बैंक शामिल होंगे वो हैं – ICICI bank, Yes bank, Bank of Baroda, Union Bank of India और Kotak Mahindra Bank.
डिजिटल करेंसी से क्या वित्त माहौल में बदलाव आयेंगे
जो सबसे बड़ा बदलाव आने jaa raha गई वो है कि black money का सर्कुलेशन में कमी आयेगी | क्यूंकि डिजिटल रुपये को चुराना या उसकी नकली करंसी बनाना असंभव होगा इसलिए इससे भारतीय वित्त व्यवस्था को मजबूती मिलेगी|
लेन देन में पारदर्शिता आयेगी|
क्या CBDC crypto करेंसी है या कुछ और
CBDC की तुलना crypto से करना गलत होगा क्यूंकि crypto करेंसी किसी भी सेंट्रल बैंक द्वारा नहिं की जाती है| crypto पर देश की सरकारों का कोई कंट्रोल नहिं है|
crypto करेंसी को चलाने वाले और इस्तेमाल करने वाले ये समझते हैं कि crypto से देश की व्यवस्थाओं से मुक्त किया जा सकेगा और उससे आम इंसान को फायदा होगा लेकिन ये अभी तय नहिं है कि crypto से क्या लाभ मिलेंगे|
दोनों ही डिजिटल करेंसी हैं लेकिन अभी उनके बीच में डिजिटल के सिवा कुछ भी समान नहिं है|
आगे अभी देखते हैं कि CBDC का किस तरह प्रचार प्रसार होता है और इससे अर्थव्यवस्था को क्या फायदा मिलता है| आप क्या समझते हैं, नीचे कमेंट्स में बताएं |
हमारे देश में ऐसे लाखों करोड़ों लोग हैं जिनके पास अभी बैंकिंग नहिं पहुंची है| लेकिन इस कार्य को अब बैंकिंग जगत ने समझा है| और अब ऐसे लोग जो पहले बैंकिंग चैनल से नहीं जुड़ पा रहे थे अब उन्हें वित्तीय समावेशन के जरिए जोड़ा जा रहा है |
यदि आप वित्तीय समावेशन की योजनाओं के बारे में जानना चाहते हैं तो आप यहां पढ़ें |
वित्तीय समावेशन में आप अपना बीमा कवर करवा सकते हैं| बीमा की जरूरत किसको नहीं! बीमा एक ऐसा सुरक्षा कवच है जो हमारे बाद हमारे परिवार की वित्तीय सुरक्षा करता है| तो आइये इस ब्लॉग पोस्ट में जानते हैं ऐसी एक वित्तीय समावेशी योजना के बारे में|
प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा में कितने का कवर है
प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना या फिर शॉर्ट में इसे PMSBY कह सकते हैं एक दुर्घटना योजना है| ये बीमा पॉलिसी, पॉलिसी होल्डर को 2,00,000/- रुपये का दुर्घटना बीमा प्रदान करती है|
यानि कि यदि बीमा धारक को किसी दुर्घटनाग्रस्त होकर पूर्ण अपंगता आ जाए या जीवन छूट जाए तो उनके परिवार से हितग्राही को 2,00,000/- रुपये की बीमा प्रदान किए जाएंगे|
प्रधान मंत्री बीमा योजना को किस वर्ग के लोग ले सकते हैं
PMSBY को किसी भी सामाजिक या आर्थिक वर्ग का व्यक्ति ले सकता है| इसमे इंकम का कोई criteria नहिं है|
आप चाहें प्राइवेट जॉब करते हों या आप किसी सरकारी नौकरी में हों आप इस बीमा योजना को ले सकते हैं|आप यदि नौकरी में नहिं भी हैं तो भी इसे आप ले सकते हैं| आप किसान हों, डाक्टर हों या कोई भी पेशे से हों आप ले सकते हैं|
यदि दुर्घटना में मृत्यु नहिं होती मगर अपंगता तो क्या फिर भी बीमा राशि दी जाएगी
PMSBY में पूर्ण अपंगता के लिए भी कवर है | यदि बीमा धारक को किसी भी दुर्घटना में कोई ऐसी चोट लाग जाये कि वो जीवन भार के लिए पूर्ण रूप से अपंग हो जाए तो भी बीमा राशि दी जाएगी| और ये राशि सीधा बीमा धारक के खाते में ही जमा कर दी जाएगी|
पूर्ण अपंगता में बीमा धारक को 100000/- रुपये दिए जाएंगे|
प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना में जुड़ने के लिए क्या कोई आयु सीमा है
PMSBY में जुड़ने के लिए बीमा धारक की आयु 18 साल और 70 साल के बीच में होनी चाहिए| यानी वो 18 साल का पूरा हो गया हो मगर 70 बरस का अभी ना हुआ हो|
साल में कितनी बार PMSBY का प्रीमियम कटेगा
बीमा धारक को साल में सिर्फ एक बार का प्रीमियम देना होगा और ये सिर्फ एक साल के लिए ही वैलिड रहेगा| यदि बीमा पॉलिसी को आप बढ़ाना चाहते हैं तो आपको इसे फिर से प्रीमियम जमा करके लेना होगा|
यहां पर आप एक बढ़िया काम कर सकते हैं| यदि आप चाहते हैं कि आपकी सुरक्षा बीमा पॉलिसी अपने आप हर साल रीन्यू(renew) हो जाए और आपको बार बार खुद जमा ना करना पड़े तो आप ऑटो डेबिट की सुविधा ले सकते हैं|
ऑटो डेबिट की सुविधा से आप की पॉलिसी हर साल अपने आप नई बन जाएगी| मेरी माने तो पहली बार जब आप सुरक्षा बीमा करवटें तभी ऑटो डेबिट की सुविधा ले लें| इससे आप टेंशन मुक्त रहेंगे |
PMSBY को लेने के लिए कौन सी बीमा कंपनी में जाना होगा
आपको किसी भी बीमा कंपनी में नहीं जाना है| आपको सिर्फ अपने बैंक में जाना है और अपने बैंक में ही फॉर्म भरके जमा कर देना है| बैंक खाते से ही आपका बीमा प्रीमियम कट जाएगा और पासबुक में इसकी एंट्री आपको दिखने लगेगी|
उसके बाद बैंक आपको बीमा पॉलिसी की प्रति तुरंत उपलब्ध करा देगी| ये बीमा पॉलिसी आप को हर साल लेने की जरूरत नहीं | आपके बैंक खाते में इसकी एंट्री भर बहुत है|
कितना देना होगा PMSBY को लेने के लिए
आपको PMSBY की पॉलिसी खरीदना के लिए मात्र 20/- देने होंगे वो भी बैंक खाते से| कैश देने की कोई जरूरत नहिं पड़ेगी|
यदि कुछ हो जाए तो कैसे मिलेंगे पैसे
प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना में फ़ंड मिलना बहुत असान है| जैसी ही घटना होती है, बैंक को तुरंत 30 दिनों के अंदर सूचना दें| उसके बाद बीमा धारक की पॉलिसी का डेबिट प्रूफ, मृत्यु या disability सर्टिफिकेट, FIR या पंचनामा और नॉमिनी का पहचान फुल KYC और बैंकिंग डिटेल्स देना होगा|
संपूर्ण प्रक्रिया बैंक द्वारा की जाएगी और नॉमिनी को कहीं जाने की जरूरत नहिं पड़ेगी| एक बार पूरे पेपर जमा करने पर 7-10 दिनों में नॉमिनी के खाते में पैसे आ जाएंगे|
यदि आपके कोई सवाल या कमेन्ट प्रधान मंत्री बीमा योजना को लेकर हों तो आप नीचे कमेन्ट करें |
Kiosk का concept ये है कि जो दूर दराज के देहात और गाँव हैं जहां बैंक नहिं पहुंच सकते वहाँ पर कियोस्क बैंकिंग से मूलभूत बैंकिंग सेवायें जैसे पैसे जामा, पैसे निकालना, सरकारी बीमा योजना, इत्यादि दी जा रही हैं |
Kiosk banking kiosk operators और बैंक दोनों के लिए profitable है | ये सिर्फ एक social banking तक ही सीमित ना रखकर इसे फायदेमंद बनाया गया है |
मुझे kiosk banking, affiliate business के जैसा लागा जहां बैंकिंग services पर fixed commission से CSP बढ़िया income generate कर ले रहे हैं |
और इस तरह ये एक अच्छा income source बन सकता है | यदि आप पढ़े लिखे हैं और दूर दराज के गाँव में रहते हैं जहां पर कोई और अच्छा करने की संभावना कम है तो फिर आप banking correspondent या kiosk operator ban सकते है और धीरे धीरे अच्छी monthly income generate कर सकते हैं
तो कैसे income generate होती है csp के लिए
जो भी आप banking activity करेंगे उसके आप percentage या fees के रूप में commission दिया जाएगा | कुछ activities जिसके लिए आपको commission मिलेगा वो हैं :
कैश जमा करने के लिए
कैश payment करने के लिए
एक khate से दूसरे के खाते में पैसे transfer करने के लिए
नया account खोलने के लिए
Sarkari बीमा योजनाओं में enrollment के लिए
Commission कैसे बनता है :
आपको फिक्स और variable जैसे दो तरह की Income में बांट सकते हैं |
आपकी ज्यादा आय variable रहेगी क्यूंकि kiosk operator या banking correspondent के ज्यादा sources day to day की banking सेवाओं पर ही होगी |
किन साधनों की जरूरत पड़ती है बैंकिंग कियोस्क को start करने के लिए?
आपको बैंकिंग kiosk start करने के लिए सबसे पहले चाहिए :
एक जगह जहां पर लोग आते जाते हों | जहां पर मार्केट हो जहां लोग पैसे को उसे करेंगे
एक 10×10 का कमरा पर्याप्त है बैंकिंग कियोस्क शुरू करने के लिए
Laptop
Aur Bio मेट्रिक डिवाइस जिससे अंगूठे को स्कैन करेंगे
ये न्यूनतम मांग रहेगी एक नया बैंकिंग कियोस्क start करने के लिए |
एक CSP जिसने 2-5 साल के बीच काम किया होगा, उसको average commission हर महीने 50-60 हजार आ सकता है | 2-5 साल का समय देना होगा और आपको बैंक के लिए छोटे – बड़े सभी को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ देंगे |
Banking correspondent का काम कैसा होता है :
देखिए banking correspondent होने से आप को दिन भर में कई सारे banking वाले काम को अंजाम देना होगा जैसे – एक बैंक में counter पर आम तौर ar देखने को मिलता है |
एक अच्छा बैंकिंग correspondent बनने के लिए क्या है सबसे जरूरी
जो सबसे जरूरी बात होती है वो है लोगों के साथ अच्छे सम्बंध और आपकी ग्राहक सेवा | आपने कार्य को ईमानदारी से करें | एक एक पैसे का हिसाब रखें और समय से खोलें ताकि लोगों को पता रहे कि आप कब तक अपनी सेवायें रोज देते हैं |
क्यूंकि banking seva का सबसे बड़ा pehli है trust या भरोसा, इसलिए ईमानदारी से काम करें और आपको एक आदर्श CSP बनने से कोई नहिं रोक सकता है |
बैंकों में नाना प्रकार की लोन स्कीम हैं जो कि जन कल्याण को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं | इस कड़ी में एक लाभप्रद जन कल्याणकारी योजना है – किसान क्रेडिट कार्ड योजना | आइए इस पोस्ट में जाने किसान क्रेडिट कार्ड योजना से जुड़ी जरूरी बातें :
ये योजना किसके लिए है?
योजना का लाभ किसानों के लिए हैं | कहने का मतलब ये है कि आप के पास खेती वाली जमीन हो| यदि आप खेती करते हैं तो आप अपनी जमीन पर फसल पैदा करने के लिए बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम में लोन लेने के लिए पात्र हैं |
ऐसे किसान जिनके पास अपनी खुद की जमीन नहिं है मगर वो दूसरे किसानों की जमीन पर खेती कर रहे हों, भी कुछ शर्तों को पूरा करके किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ उठा सकते हैं |
किसान क्रेडिट कार्ड क्या है :
ऐसा लगता है कि ये एक क्रेडिट कार्ड है जो कि बिल्कुल सही समझ रहे हैं | इस योजना में आपको क्रेडिट कार्ड की तरह पैसे निकालने और जमा करने होते हैं| जमा करिए और फिर निकल लीजिए, फिर जमा करिए और फिर निकल लीजिए और इसी तरह ये कार्ड आपको सालों साल तक हेल्प करता है |
मगर किसान क्रेडिट कार्ड की शर्तें और नियम एक आम क्रेडिट कार्ड स्कीम से बिल्कुल अलग होती हैं| इसमें आपको फैसलों के मौसम के अनुसार जमा और निकासी की फैसिलिटी रहती है | जैसे किसानी की दो सीजन होते हैं : खरीफ और रबी | खरीफ का मौसम सितंबर से फरवरी का और रबी का मौसम मार्च से अगस्त का होता है |
क्या किसान क्रेडिट कार्ड पाने के लिए खुद की खेती वाली जमीन जरूरी है?
जमीन हो लेकिन जरूरी नहिं की आपकी खुद की ही हो | आप ने यदि किसी से जमीन पर इकरार नामा किया है तो उससे भी आप लोन पाने के लिए पात्र बन जाएंगे |
हाँ इसके लिए जरूरी है कि आप खेतों के असली मालिक से अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूर ले लें |
कितने साल के लिए मिलता है किसान क्रेडिट कार्ड
क्रेडिट कार्ड में कुल अवधि जिसके लिए लोन मिलता है वो है कुल 5 साल | आप एक बार 5 साल में लोन लेकर फिर से apply कर सकते हैं | और खास बात ये है कि आपको हर साल लोन की सीमा 10 % बढ़ जाएगी |
पांच साल की लोन अवधि में इसे आप हर साल नवीनीकरण करेगे| समय पर नवीनीकरण से आपको लोन के राशि 10% बढ़ जाएगी और आप लेन देन कर पाएंगे |
कैसे तय होती है किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट
आपको किसान क्रेडिट कार्ड में जो लोन मिलेगा वो इस बात पर तय होता है कि आप किस फसल को उगा रहे हैं | हर फसल की लागत के हिसाब से लोन की राशि तय की जाती है | ये राशि प्रति हेक्टेयर में मापी जाती है |
हर जिले में एक कमिटी होती बैंकर्स की जो ये तय करती है कि अलग अलग फसलों का लागत कितनी आती है | इस लागत की एक फसलों की लिस्ट तैय्यार की जाती है | इस तरह जो बैंकर्स की कमिटी होती है उसे SLBC कहते हैं और जो लागत होती है उसे SOF या फिर स्केल ऑफ फाइनैंस(scale of finance) कहते हैं |
कैसे करें किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन
किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आप किसी भी सरकारी बैंक में अप्लाई कर सकते हैं | जो काग़ज़ और दस्तावेज आपको जरूरी है वो हैं :
जमीन की रजिस्ट्री और पट्टा
रिण पुस्तिका
खसरा और खतौनी या किश्त बंदी
Nazri नक्शा
ये ऊपर दिए दस्तावेज सबसे पहले जमा लार लें और आप वहीँ क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करें जहां आपका बचत खाता चल रहा हो | यदि आपका वहाँ पर बैंक में कोई खाता नहिं है तो सबसे पहले बचत खाता खुलवा लें |
इसके अलावा आपको अपना आधार कार्ड और पैन कार्ड देना होगा | तो उसे भी साथ में रख लें |
कितना समय लगेगा लोन मिलने में
लोन मिलने का समय समझने के लिए ये समझ लें कि कितने स्टेप्स होते हैं किसान क्रेडिट कार्ड का लोन पास होते हैं | और उसी से आपको अंदाजा मिल जाएगा कि आपको कितना समय लाग जाएगा |
सबसे पहले आपके दस्तावेजों की एक बैंक के वकील द्वारा जमीन का रिकॉर्ड खगाला जाता है जिसे TIR या टाइटल इनवेस्टिगेशन रिपोर्ट कह्ते हैं | इस रिपोर्ट को बनने में 7-10 दिन का समय लगेगा|
एक बार TIR मिलने के बाद बैंक आपसे आवेदन फॉर्म भरवा लेती है | उसके बाद 7-10 का समय और लगेगा जिसमें आपको लोन प्रोसेस होता है | इस तरह अंदाजन ये कहा जा सकता है कि 15 दिन के अंदर आपको किसान कार्ड मिल जाएगा |
मुझे मौका मिला एक स्वरोजगार रोजगार दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए | चलिए आपको बताता हूं कि स्वरोजगार रोजगार दिवस के बारे में और इससे आप को क्या फायदा पहुंचेगा|
स्वरोजगार रोजगार का मतलब हुआ खुद का काम | भारत में रोजगार का मतलब पहले सरकारी नौकरियां हुआ करती थीं | अब सरकार एक तरफ सरकारी उपक्रमों को प्राइवेट कर रही है और दूसरी तरफ़ सरकारी विभागों में डाउनसाइज ( नौकरियों पर काम नियुक्तियां) कर रही है |
अब देश भर में रोजगार यानी खुद का काम शुरू करने और उसको आगे बढाने पर जोर दिया जा रहा है | आज का युवा बेरोजगार ना रहे और उसे रोजगार मिले – इस विचार धारा को बढाने और उसका प्रचार करने के लिए स्वरोजगार-रोजगार दिवस का आयोजन किया जाता है|
स्वरोजगार रोजगार दिवस पर बैंकों की भूमिका को केन्द्रित किया गया | बैंक, खास करके सरकारी बैंक आज के समय में अपनी एक खास भूमिका निभा रहे हैं | सरकारी बैंक और सरकार द्वारा प्रायोजित बैंक ऐसी लोन स्कीम पर काम कर रहे हैं जिनमें युवा, महिलाएँ और अल्पसंख्यक वर्गों पर जोर डालते हुए उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है |
किसी भी स्वरोजगार करने वाले की सबसे बड़ी समस्या होती है – कैपिटल या पूँजी | यदि कोई अपना खुद का बिजनैस शुरू करना चाहे तो उसके लिए पूंजी कहाँ से लाए? किराना दुकान हो या ब्युटी पार्लर, कंप्युटर सेंटर हो या क्लिनिक या फिर कोई छोटी – मोटी औद्योगिक इकाई, सभी के लिए पूंजी का होना जरूरी है |
इसे हम सीड कैपिटल भी कह्ते हैं | इस कैपिटल को सरकार अपनी प्रायोजित योजनाओं को बैंक लोन से लिंक करके स्वरोजगार करने वालों तक सहायता राशि पहुंचा रही है | इस सन्दर्भ में जिन मुख्य योजनाओं का उल्लेख किया गया है वो है –
1. मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना
2. प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
3. प्रधान मंत्री स्वनिधि योजना
4. नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन
5. नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन
6. प्रधान मंत्री मुद्रा योजना
ये योजनाएं बैंक लोन से जुड़ी होती हैं और उनमें सरकार की तरफ़ से सब्सिडी और ब्याज में छूट दी जाती है | ये लोन सब्सिडी की राशि 20 % से 65 % तक और ब्याज दर में छूट 2% से 4% तक मिलती है |
दूसरी जो सबसे बड़ी समस्या जिसका स्वरोजगार करने वाला सामना करता है वो है – बैंक लोन गारंटी | बैंक जो भी लोन देती है उसमें गारंटी की मांग रखती है | सरकार द्वारा प्रायोजित बैंक लोन में गारंटी की जरूरत नहिं है |
इस तरह सरकारी मदद और बैंक लोन स्कीम के माध्यम से स्वरोजगार रोजगार दिए जा रहे हैं | हितग्राही जिनको लोन दिया जाता है वो अपनी लोन की किस्तें बराबर जमा करते रहे तो वो ना सिर्फ अपना रोजगार सुनिश्चित करते हैं ब्लकि वो बैंक मजबूत रिश्ता कायम करते हैं, अपनी क्रेडिट मजबूत करते हैं और आगे बढ़ सकते हैं |
स्वरोजगार रोजगार दिवस समय समय पर मनाया जाता है और इससे देशभर में अब रोजगार का अच्छा माहौल बन रहा है |