Category: सेविंग्स

  • बिजली के बिल में अब होगी कटौती : सोलर रूफ टॉप स्कीम

    बिजली के बिल में अब होगी कटौती : सोलर रूफ टॉप स्कीम

    कहते हैं कि जो पैसे आपने बचा लिए , वो पैसे आपने कमा लिए। इसलिए बचत करने के सभी उपाय खोजने चाहिए।

    ऐसा ही एक उपाय है बिजली के बिल में बचत करने के लिए। बिजली एक ऐसी उपभोग की वस्तु है जिसका दाम बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि उसकी खपत भी बढ़ती जा रही है।

    घर के जितने भी उपकरण हैं बिना बिजली के नहीं चलते। पंखा, कूलर, एसी, वाशिंग मशीन, टीवी, फ्रिज, मिक्सी, ग्राइंडर, माइक्रोवेव और ना जाने कितने ही और घरेलू उपकरण हैं जो बिना बिजली बेकार हैं।

    इसलिए बिजली की बचत कैसे की जाए इस पर आप को विचार करने की जरूरत है। आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे की कैसे आप अपने घर पर सोलर रूफ टॉप लगाकर अपनी बिजली की खपत को बिना काम किए , बिजली के बिल में बड़ी भारी बचत कर सकते हैं।

    सोलर रूफ टॉप स्कीम का आप फायदा उठा सकते हैं। ये स्कीम सरकार ने स्टार्ट की है। इस स्कीम में आप अपने घर की चाट पर सोलर पैनल लगवाकर उसमे भारी सब्सिडी पा सकते हैं। आपको 20% से 40% तक की सब्सिडी मिल जायेगी।

    तो आइए सबसे पहले समझते हैं कि सोलर रूफ टॉप क्या है और कैसे आप सोलर रूफ टॉप से फायदे उठा सकते हैं।

    सूरज से निकलनी वाली ऊर्जा को अब हम मशीनों से बिजली में बदल सकते हैं। क्या आपने भी बचपन में अपने स्कूल प्रोजेक्ट में सोलर कुकर बनाया था जिसमे खाना पकाया जा सके। सूरजब्से निकलने वाली ऊर्जा को हम सोलर पैनल की मदद से बिजली में बदल सकते हैं।

    सौर ऊर्जा को इस्तेमाल करने के बड़े फायदे हैं। सबसे पहले तो देखिए कि आपको सौर ऊर्जा का स्रोत बिलकुल मुफ्त मिल रहा है। पानी या कोयले से बिजली बनाने के लिए बहुत बड़ी धन राशि खर्च की जाती है। फिर दूसरी बात ये कि उनके स्रोत सीमित हैं। सौर ऊर्जा कभी ना विलुप्त होने वाली ऊर्जा है।

    क्योंकि पानी या कोयले से बिजली बनाने में खर्च आता है , उसे हम तक पहुंचाने में खर्च आता है और हैं तक पहुंचते पहुंचते उसकी कीमत अच्छी खासी बन जाती है इसलिए आप देखेंगे कि आपका बिजली का बिल किस तरह बढ़ गया होगा।

    सौर ऊर्जा में आपको अपने छत पर ही बिजली बनाने की मशीन लगानी है और बस घर में बिजली ही बिजली। सौर बिजली संयंत्र को ही सोलर रूफ टॉप कहते हैं। ये देखिए:

    सोलर रूफ टॉप
    सोलर रूफ टॉप

    आप भी ऐसे ही सोलर रूफ टॉप के पैनल अपने घर की छत पर लगवाकर क्लीन एनर्जी पैदा करके अपने मंथली बिजली बिल में कमी ला सकते हैं। और साथ ही साथ सरकारी सब्सिडी का फायदा उठा सकते हैं।

    सरकार से सोलर रूफ टॉप में सब्सिडी पाने के लिए आपको सबसे पहले तो उपकरण लगवाने के लिए अपने निकटतम बिजली वितरक कंपनी से संपर्क करना है। बिजली वितरक कंपनी आपको अप्रूवल देगी कि आपके घर की छत पर संयंत्र लगाया जा सकता है।

    उसके बाद आप सोलर रूफ टॉप के ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपनी जानकारी को रजिस्टर करें। रजिस्टर करने के बाद आपको 15 से 20 दिनों में सब्सिडी आपके खाते में आ जाएगी।

    आपको जरूर जानने की इच्छा होगी कि हम अपना बिजली का कितना बिल कम कर सकते हैं। मैने आपके लिए एक लिंक ढूंढ निकाली गई। आप इस लिंक पर जाएं और अपने घर की बिजली के बिल पर बचत को कैलकुलेट करें।

    इस लिंक पर क्लिक करें

    मार्केट में कई तरह के सोलर रूफ टॉप आपको मिल जाएंगे। एक स्टैंडर्ड सोलर रूफ टॉप जो है वो 3 किलोवाट की बिजली पैदा करने वाला होता है और उसको लगाने का खर्च आपको 1.25 लाख से 2.50 लाख रुपए के बीच आ सकता है। थोड़ा बहुत कम ज्यादा हो सकता है।

    ध्यान रखें कि आप रूफ टॉप किसी अच्छी ब्रांडेड कंपनी का लें। अच्छी कंपनी आपको साथ में कम से कम 5 साल की सर्विस गारंटी भी देती है।

    इसलिए आपको अच्छी कंपनी का ही सोलर रूफ टॉप पैनल लगवाना चाहिए।

  • पैसे बचाने का शानदार उपाय : ऑटो डेबिट से बचें

    पैसे बचाने का शानदार उपाय : ऑटो डेबिट से बचें

    हम कैसे पैसे बचाएं, इस पर हर कोई सोचता है। में भी सोचा करता हूं। मैने एक बहुत ही बढ़िया तरीका निकाला है पैसे बचाने का। आइए इस ब्लॉग पोस्ट में डिस्कस करें।

    आपको पता होना चाहिए कि आपके पैसे कहां जाते हैं। मैने अपने पैसों को इसलिए ट्रैक करना शुरू किया। ये प्रैक्टिस शुरू की मैने तब जब एक दिन मैं हिसाब लगाने बैठा और मैने समझने की कोशिश की कि मेरे पैसे कहां जा रहे हैं।

    ये मेरी बजट एक्सरसाइज नहीं है क्योंकि मैं अक्सर बजट नहीं बनाता हूं। मुझे लगता है कि बजट को प्रैक्टिस में लाना चाहिए मगर अभी तक मेरी प्रैक्टिस में नहीं आया है। बजट बनाना बहुत बड़ी हेडेक लगती है।

    मगर मैने एक ट्रेंड नोटिस किया अपने कुछ पेमेंट्स को लेकर। मैने पाया कि में हर महीने कुछ सर्विसेज के लिए पे करता हूं मगर उन्हे यूज कभी कभी करता हूं। मैने नोटिस किया कि ये पेमेंट कुछ ऐप्स के लिए हैं। जैसे गाने सुनने के ऐप, किताब पढ़ने के ऐप, एक्सरसाइज करने के ऐप। ये सभी ऐप कहते हैं कि आपको मंथली पेमेंट करना होगा।

    कोई भी मंथली सब्सक्रिप्शन का अमाउंट शायद देखने में छोटा लगे मगर वो मंथली सब्सक्रिप्शन जब हर महीने कटेगा तो एक बड़ी रकम बन जायेगी। ज्यादातर कंपनियां आपसे पेमेंट ऑटो डेबिट के माध्यम से लेती हैं।

    ऑटो डेबिट का मतलब है हर महीने बिना आपको बताए पैसा आपके खाते से कट जायेगा। कंपनियां आपके क्रेडिट कार्ड/ सेविंग्स अकाउंट की जानकारी पहले ही सब्सक्रिप्शन शुरू करने पर ले लेती हैं।

    और फिर हम याद रखें पेमेंट करना या ना करना, कंपनियां अपना हिसाब बड़े टाइम से कर लेती हैं। ये डिजिटल दुनिया का सबसे बड़ा अशीरवाद मिला है की ग्राहक पेमेंट करना ना चूके, चाहे सर्विस यूज करना चूक जाए।

    मैने अपने सभी ऑटो डेबिट्स की सूची बनाई। मैने पाया कि ज्यादातर ऐप्स की पेमेंट्स कुछ सैकड़ों में थी मगर जब मैने पिछले दो तीन साल का पेमेंट रिकॉर्ड निकाल कर उसे जोड़ा तो मेरे होश उड़ गए। कई हजार रुपए मुझे हमेशा के लिए छोड़ चुके थे।

    शायद इतना पैसा मैं अगर जोड़ने की भी सोचता तो मुश्किल आती लेकिन देने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी । छोटी छोटी 200 – 300 रुपए की मंथली RD कौन डालने की सोचेगा। हम लोग तो उसे सेविंग्स ही नहीं मानेंगे।

    लेकिन उस दिन सन्डे को मेरी आंखें फटी रह गईं। और मैने फिर तय किया कि ऑटो डेबिट मैंडेट हटाकर मंथली खुद पे करूंगा। और ऑटो डेबिट्स वहां लगाऊंगा जहां पैसे मेरे पास आएं जैसे म्यूचुअल फंड के एसआईपी (SIP) प्लान, मंथली RD इत्यादि।

    अब लाइफ में सुकून है कि जो पैसे मैं ऑटो डेबिटस में दान कर दे रहा था अब वो मेरे निवेश में और मेरी रिटायरमेंट में काम आएंगे।

  • EPFO ke Baare mein(ABOUT EPFO in Hindi)

    कुछ समय से लगातार खबरों में रहने से अब एक शब्द जो लगातार गूगल किया जा रहा है वो है – EPFO

    क्या है EPFO और ये किस तरह जुड़ी है हमसे | क्या हमें EPFO के बारे में पता होना चाहिए | कौन हैं वो जिनको EPFO से जुड़ी जानकारी पता होनी चाहिए जिससे वो अपनी लाइफ को secure कर सकें|  

    EPFO क्या है ?

    EPFO एक संगठन है | EPFO का full form है – Employees Provident Fund Organisation. इन्ही चार शब्दों के पहले अक्षरों को निकालकर बना है EPFO.  हिंदी में EPFO को कहते हैं – कर्मचारी भविष्य निधि संगठन| EPFO का head office दिल्ली में है और हर राज्य में EPFO का ऑफिस है | और total 127 offices हैं पूरे देश भर में |   

    कब हुई EPFO की शुरुआत ?

    EPFO को parliament के एक्ट के अंतर्गत सन 1952 में शुरू किया गया| EPFO एक स्वायत्त संगठन(autonomous body) है|  ये केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है|  लेकिन सभी फैसले EPFO के trustees, राज्य सरकार, केंद्र सरकार, कर्मचारी और उनके मालिक संस्थान मिल बैठ कर सहमति से करते हैं|

    EPFO क्या काम करता है 

    EPFO organised sector के गैर सरकारी आद्योगिक संस्थानों जैसे मिल, फैक्ट्री, सेवा संस्थान इत्यादि के कर्मचारियों के लिए 3 प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है|  सामाजिक सुरक्षा का मतलब सरल शब्दों में  है कि कर्मचारियों को सम्मान से अपनी जिंदगी चलाने के लिए जो न्यूनतम आर्थिक व्ववस्था चाहिए उसके लिए संस्थागत सहयोग या कहें कि हेल्प प्रदान करने का काम करता है EPFO.   

    3 सामाजिक सुरक्षा योजनायें जो EPFO चलाती है, वो इस प्रकार से हैं:

    1. Employees Provident Fund Scheme(EPF)  – कर्मचारी भविष्य निधि योजना 
    2. Employees Pension Scheme(EPS)  – कर्मचारी पेंशन योजना   
    3. Employees Deposit Linked Insurance Scheme(EDLI) – श्रम धन बीमा योजना

    क्या सभी कर्मचारियों के लिए EPFO जरुरी है    

    इस सवाल को हम यूँ भी पूँछ सकते हैं कि वो कौन से वर्ग के कर्मचारी हैं जिनके लिए EPFO की योजनाएं लागू होंगी? 

    किसी भी श्रमिक संस्थान जैसे factories, offices, retail chains, होटल इत्यादि जहाँ 20 या उससे अधिक श्रमिक काम करते हैं, उन्हें EPF&MA Act, 1952 के अनुसार EPF में रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी है|  जो नहीं कराएँगे, उनके खिलाफ legal action लिया जा सकता है|  

    ऐसे कर्मचारी जो सैलरी पाते हैं, EPF स्कीम के लिए पात्र हैं | साथ में ऐसे कर्मचारी जो 15000/- रुपये तक की सैलरी पाते हैं उनको EPS यानि कर्मचारी पेंशन योजना में रजिस्ट्रेशन compulsory है| जिनकी सैलरी ज्यादा है वो भी रजिस्टर कर सकते हैं मगर उनके लिए compulsory नहीं है|  

    EPF स्कीम basic pay plus DA पर लागू होती है|  इसमें कर्मचारी और उनके मालिक, दोनों की तरफ से आंशिक अनुदान होता है| अभी आंशिक अनुदान का प्रतिशत 12-12 % है |             

    EPFO की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से कर्मचारियों को कैसे फायदा मिलता है

    कर्मचारी या कहें workers पूरी तरह अपने मालिक या उसकी कंपनी पर डिपेंडेंट होते हैं| और जब वो काम छोड़ते हैं तो उसके पास अपनी खुद की बचत होनी चाहिए | तभी वो अपने सेल्फ रेस्पेक्ट के साथ ज़िन्दगी जी पाएँगे | 

    कर्मचारी समुदाय को अक्सर बचत करने की habit नहीं होती|  उनके पास जितने पैसे आते हैं वो सब खर्च हो जाते हैं| यूँ मानें कि पैसों के पैर लगे होते हैं|  आये नहीं कि चल दिए|  इसलिए EPFO महीने की सैलरी से एक अंश पहले ही काटकर अलग कर देता है और उसे सुरक्षित जमा कर लेता है|  और फिर उस बचत पर सालाना ब्याज दिया जाता है | इससे कर्मचारी के नाम से बचत हो जाती है जो मुश्किल समय आने पर काम आती है| 

    मौजूदा आंकड़ों के अनुसार EPFO में तकरीबन 69 Mn(7 करोड़) subscribers जुड़े हैं| और EPFO के पास लगभग 209 Bn Dollars( 1. 67 लाख करोड़ रुपये) का corpus है | ये corpus LIC के corpus के बाद दूसरे नंबर पर आता है|