मैने कुछ दिनों पहले तय किया कि मैं रघुराम राजन की पुस्तक : I do what I do को पढ़ूंगा। तो मुझे ये खयाल क्यों आया ?
आइए जानते हैं!
रघुराम राजन के बारे में बैंकिंग जगत से जुड़े लोग सभी उनको जानते हैं या उनके नाम से तो सभी वाकिफ हैं। रघुराम इंडिया के भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे कुछ सालों पहले। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर कई अभूत पूर्व काम किए हैं। और मैं इसी बात को लेकर काफी उत्सुक था कि उनके कार्य काल में किस तरह के बदलाव लाए गए। मुझे पूरी स्टोरी पता करनी है और इसीलिए मैंने उनकी ये किताब I do what I do को पढ़ने का फैसला किया।

यदि आप भी रघुराम राजन और भारत की अर्थव्यवस्था में हुए कुछ क्रांतिकारी बदलावों को जानना चाहेंगे तो इस किताब को जरूर पढ़ें। आपको बहुत मजा आएगा।
आज हमारी बैंकिंग व्यवस्था ने कई नए रूप धारण किए हुए हैं। स्टार्ट करते हैं UPI से। UPI जो आपको आज कहीं भी कभी भी अपने स्मार्ट फोन के जरिए किसी को भी पैसे देने और किसी से भी पैसे लेने के लिए इस्तेमाल होता है। ये UPI का नेटवर्क चालू हुआ था गवर्नर रघुराम राजन के समय। और आज इस व्यवस्था को बड़े से बड़े देश देख रहे हैं और तारीफ कर रहे हैं।
UPI का इस्तेमाल जब स्टार्ट हुए तो मुझे भी नहीं पता था कि इतनी जल्दी इतने सारे ट्रांजेक्शन सिर्फ स्मार्ट फोन से ही हो जाता करेंगे। ना कैश और ना कार्ड, सिर्फ स्मार्ट फोन पे ही। आज नुक्कड़ के हर कोने में, है ठेले में और बड़ी से बड़ी दुकान पर UPI से लेन देन हो रहा है। और अब पैसा हैंडल करना बहुत ही सरल हो गया है।

दूसरा जो भूत पूर्व काम श्री रघुराम राजन ने किया वो है कि अब बैंकिंग के क्षेत्र में ना सिर्फ बड़े बैंक बल्कि स्मॉल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंक भी उतर चुके हैं जिन्होंने भारतीय बैंकिंग को और प्रभावशाली बनाने में अच्छी भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बैंकिंग लाइसेंस बांटने का फैसला किया लेकिन बड़े पूंजीपतियों को इस दायरे से बाहर रखा। इतनी पारदर्शिता सचमुच तरीफेकाबिल है।
स्मॉल फाइनेंस बैंक छोटे लोन बांटकर छोटी छोटी बिजनेस इकाइयों को जिन्हे हम SME के नाम से जानते हैं अब आगे बढ़ रही हैं। पेमेंट बैंक के जरिए अब टेलीकॉम कंपनियां भी बैंकिंग के रोल में आ गई हैं जिससे बैंकिंग को सेवाओं को देश के कोने तक पहुंचाया जा सका है।
एक समय ऐसा था कि बैंकों में बड़े पूंजीपति लुटेरों का साम्राज्य स्थापित था। हम सबने विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे बैंक डिफॉल्टरों के बारे में काफी कुछ मीडिया पर सुना और देखा होगा। जब रघुराम राजन ने गवर्नर का पद संभाला तो उन्होंने इन बड़े डिफॉल्टरों को बैंक का लोन चुकाने के लिए बाध्य कर दिया।
उनके बैलेंस शीट को क्लीन अप करने की पहल से पब्लिक का बहुत सारा पैसा वापस लौटा और अन्य बड़े डिफॉल्टरों को सबक मिला।
नोटबंदी भी उन्ही के समय में हुई मगर ये अटकलें आज भी लगाई जाती हैं कि शायद रघुराम राजन का फैसला ये नहीं था। हालांकि उनके समय में ही नोट बंदी की बात चल रही थी मगर उन्होंने इसे खारिज कर दिया था।