EPFO ke Baare mein(ABOUT EPFO in Hindi)

धन से जीवन

कुछ समय से लगातार खबरों में रहने से अब एक शब्द जो लगातार गूगल किया जा रहा है वो है – EPFO

क्या है EPFO और ये किस तरह जुड़ी है हमसे | क्या हमें EPFO के बारे में पता होना चाहिए | कौन हैं वो जिनको EPFO से जुड़ी जानकारी पता होनी चाहिए जिससे वो अपनी लाइफ को secure कर सकें|  

EPFO क्या है ?

EPFO एक संगठन है | EPFO का full form है – Employees Provident Fund Organisation. इन्ही चार शब्दों के पहले अक्षरों को निकालकर बना है EPFO.  हिंदी में EPFO को कहते हैं – कर्मचारी भविष्य निधि संगठन| EPFO का head office दिल्ली में है और हर राज्य में EPFO का ऑफिस है | और total 127 offices हैं पूरे देश भर में |   

कब हुई EPFO की शुरुआत ?

EPFO को parliament के एक्ट के अंतर्गत सन 1952 में शुरू किया गया| EPFO एक स्वायत्त संगठन(autonomous body) है|  ये केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है|  लेकिन सभी फैसले EPFO के trustees, राज्य सरकार, केंद्र सरकार, कर्मचारी और उनके मालिक संस्थान मिल बैठ कर सहमति से करते हैं|

EPFO क्या काम करता है 

EPFO organised sector के गैर सरकारी आद्योगिक संस्थानों जैसे मिल, फैक्ट्री, सेवा संस्थान इत्यादि के कर्मचारियों के लिए 3 प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है|  सामाजिक सुरक्षा का मतलब सरल शब्दों में  है कि कर्मचारियों को सम्मान से अपनी जिंदगी चलाने के लिए जो न्यूनतम आर्थिक व्ववस्था चाहिए उसके लिए संस्थागत सहयोग या कहें कि हेल्प प्रदान करने का काम करता है EPFO.   

3 सामाजिक सुरक्षा योजनायें जो EPFO चलाती है, वो इस प्रकार से हैं:

  1. Employees Provident Fund Scheme(EPF)  – कर्मचारी भविष्य निधि योजना 
  2. Employees Pension Scheme(EPS)  – कर्मचारी पेंशन योजना   
  3. Employees Deposit Linked Insurance Scheme(EDLI) – श्रम धन बीमा योजना

क्या सभी कर्मचारियों के लिए EPFO जरुरी है    

इस सवाल को हम यूँ भी पूँछ सकते हैं कि वो कौन से वर्ग के कर्मचारी हैं जिनके लिए EPFO की योजनाएं लागू होंगी? 

किसी भी श्रमिक संस्थान जैसे factories, offices, retail chains, होटल इत्यादि जहाँ 20 या उससे अधिक श्रमिक काम करते हैं, उन्हें EPF&MA Act, 1952 के अनुसार EPF में रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी है|  जो नहीं कराएँगे, उनके खिलाफ legal action लिया जा सकता है|  

ऐसे कर्मचारी जो सैलरी पाते हैं, EPF स्कीम के लिए पात्र हैं | साथ में ऐसे कर्मचारी जो 15000/- रुपये तक की सैलरी पाते हैं उनको EPS यानि कर्मचारी पेंशन योजना में रजिस्ट्रेशन compulsory है| जिनकी सैलरी ज्यादा है वो भी रजिस्टर कर सकते हैं मगर उनके लिए compulsory नहीं है|  

EPF स्कीम basic pay plus DA पर लागू होती है|  इसमें कर्मचारी और उनके मालिक, दोनों की तरफ से आंशिक अनुदान होता है| अभी आंशिक अनुदान का प्रतिशत 12-12 % है |             

EPFO की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से कर्मचारियों को कैसे फायदा मिलता है

कर्मचारी या कहें workers पूरी तरह अपने मालिक या उसकी कंपनी पर डिपेंडेंट होते हैं| और जब वो काम छोड़ते हैं तो उसके पास अपनी खुद की बचत होनी चाहिए | तभी वो अपने सेल्फ रेस्पेक्ट के साथ ज़िन्दगी जी पाएँगे | 

कर्मचारी समुदाय को अक्सर बचत करने की habit नहीं होती|  उनके पास जितने पैसे आते हैं वो सब खर्च हो जाते हैं| यूँ मानें कि पैसों के पैर लगे होते हैं|  आये नहीं कि चल दिए|  इसलिए EPFO महीने की सैलरी से एक अंश पहले ही काटकर अलग कर देता है और उसे सुरक्षित जमा कर लेता है|  और फिर उस बचत पर सालाना ब्याज दिया जाता है | इससे कर्मचारी के नाम से बचत हो जाती है जो मुश्किल समय आने पर काम आती है| 

मौजूदा आंकड़ों के अनुसार EPFO में तकरीबन 69 Mn(7 करोड़) subscribers जुड़े हैं| और EPFO के पास लगभग 209 Bn Dollars( 1. 67 लाख करोड़ रुपये) का corpus है | ये corpus LIC के corpus के बाद दूसरे नंबर पर आता है|