Blog

  • बिजली के बिल में अब होगी कटौती : सोलर रूफ टॉप स्कीम

    बिजली के बिल में अब होगी कटौती : सोलर रूफ टॉप स्कीम

    कहते हैं कि जो पैसे आपने बचा लिए , वो पैसे आपने कमा लिए। इसलिए बचत करने के सभी उपाय खोजने चाहिए।

    ऐसा ही एक उपाय है बिजली के बिल में बचत करने के लिए। बिजली एक ऐसी उपभोग की वस्तु है जिसका दाम बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि उसकी खपत भी बढ़ती जा रही है।

    घर के जितने भी उपकरण हैं बिना बिजली के नहीं चलते। पंखा, कूलर, एसी, वाशिंग मशीन, टीवी, फ्रिज, मिक्सी, ग्राइंडर, माइक्रोवेव और ना जाने कितने ही और घरेलू उपकरण हैं जो बिना बिजली बेकार हैं।

    इसलिए बिजली की बचत कैसे की जाए इस पर आप को विचार करने की जरूरत है। आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे की कैसे आप अपने घर पर सोलर रूफ टॉप लगाकर अपनी बिजली की खपत को बिना काम किए , बिजली के बिल में बड़ी भारी बचत कर सकते हैं।

    सोलर रूफ टॉप स्कीम का आप फायदा उठा सकते हैं। ये स्कीम सरकार ने स्टार्ट की है। इस स्कीम में आप अपने घर की चाट पर सोलर पैनल लगवाकर उसमे भारी सब्सिडी पा सकते हैं। आपको 20% से 40% तक की सब्सिडी मिल जायेगी।

    तो आइए सबसे पहले समझते हैं कि सोलर रूफ टॉप क्या है और कैसे आप सोलर रूफ टॉप से फायदे उठा सकते हैं।

    सूरज से निकलनी वाली ऊर्जा को अब हम मशीनों से बिजली में बदल सकते हैं। क्या आपने भी बचपन में अपने स्कूल प्रोजेक्ट में सोलर कुकर बनाया था जिसमे खाना पकाया जा सके। सूरजब्से निकलने वाली ऊर्जा को हम सोलर पैनल की मदद से बिजली में बदल सकते हैं।

    सौर ऊर्जा को इस्तेमाल करने के बड़े फायदे हैं। सबसे पहले तो देखिए कि आपको सौर ऊर्जा का स्रोत बिलकुल मुफ्त मिल रहा है। पानी या कोयले से बिजली बनाने के लिए बहुत बड़ी धन राशि खर्च की जाती है। फिर दूसरी बात ये कि उनके स्रोत सीमित हैं। सौर ऊर्जा कभी ना विलुप्त होने वाली ऊर्जा है।

    क्योंकि पानी या कोयले से बिजली बनाने में खर्च आता है , उसे हम तक पहुंचाने में खर्च आता है और हैं तक पहुंचते पहुंचते उसकी कीमत अच्छी खासी बन जाती है इसलिए आप देखेंगे कि आपका बिजली का बिल किस तरह बढ़ गया होगा।

    सौर ऊर्जा में आपको अपने छत पर ही बिजली बनाने की मशीन लगानी है और बस घर में बिजली ही बिजली। सौर बिजली संयंत्र को ही सोलर रूफ टॉप कहते हैं। ये देखिए:

    सोलर रूफ टॉप
    सोलर रूफ टॉप

    आप भी ऐसे ही सोलर रूफ टॉप के पैनल अपने घर की छत पर लगवाकर क्लीन एनर्जी पैदा करके अपने मंथली बिजली बिल में कमी ला सकते हैं। और साथ ही साथ सरकारी सब्सिडी का फायदा उठा सकते हैं।

    सरकार से सोलर रूफ टॉप में सब्सिडी पाने के लिए आपको सबसे पहले तो उपकरण लगवाने के लिए अपने निकटतम बिजली वितरक कंपनी से संपर्क करना है। बिजली वितरक कंपनी आपको अप्रूवल देगी कि आपके घर की छत पर संयंत्र लगाया जा सकता है।

    उसके बाद आप सोलर रूफ टॉप के ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपनी जानकारी को रजिस्टर करें। रजिस्टर करने के बाद आपको 15 से 20 दिनों में सब्सिडी आपके खाते में आ जाएगी।

    आपको जरूर जानने की इच्छा होगी कि हम अपना बिजली का कितना बिल कम कर सकते हैं। मैने आपके लिए एक लिंक ढूंढ निकाली गई। आप इस लिंक पर जाएं और अपने घर की बिजली के बिल पर बचत को कैलकुलेट करें।

    इस लिंक पर क्लिक करें

    मार्केट में कई तरह के सोलर रूफ टॉप आपको मिल जाएंगे। एक स्टैंडर्ड सोलर रूफ टॉप जो है वो 3 किलोवाट की बिजली पैदा करने वाला होता है और उसको लगाने का खर्च आपको 1.25 लाख से 2.50 लाख रुपए के बीच आ सकता है। थोड़ा बहुत कम ज्यादा हो सकता है।

    ध्यान रखें कि आप रूफ टॉप किसी अच्छी ब्रांडेड कंपनी का लें। अच्छी कंपनी आपको साथ में कम से कम 5 साल की सर्विस गारंटी भी देती है।

    इसलिए आपको अच्छी कंपनी का ही सोलर रूफ टॉप पैनल लगवाना चाहिए।

  • पैसे बचाने का शानदार उपाय : ऑटो डेबिट से बचें

    पैसे बचाने का शानदार उपाय : ऑटो डेबिट से बचें

    हम कैसे पैसे बचाएं, इस पर हर कोई सोचता है। में भी सोचा करता हूं। मैने एक बहुत ही बढ़िया तरीका निकाला है पैसे बचाने का। आइए इस ब्लॉग पोस्ट में डिस्कस करें।

    आपको पता होना चाहिए कि आपके पैसे कहां जाते हैं। मैने अपने पैसों को इसलिए ट्रैक करना शुरू किया। ये प्रैक्टिस शुरू की मैने तब जब एक दिन मैं हिसाब लगाने बैठा और मैने समझने की कोशिश की कि मेरे पैसे कहां जा रहे हैं।

    ये मेरी बजट एक्सरसाइज नहीं है क्योंकि मैं अक्सर बजट नहीं बनाता हूं। मुझे लगता है कि बजट को प्रैक्टिस में लाना चाहिए मगर अभी तक मेरी प्रैक्टिस में नहीं आया है। बजट बनाना बहुत बड़ी हेडेक लगती है।

    मगर मैने एक ट्रेंड नोटिस किया अपने कुछ पेमेंट्स को लेकर। मैने पाया कि में हर महीने कुछ सर्विसेज के लिए पे करता हूं मगर उन्हे यूज कभी कभी करता हूं। मैने नोटिस किया कि ये पेमेंट कुछ ऐप्स के लिए हैं। जैसे गाने सुनने के ऐप, किताब पढ़ने के ऐप, एक्सरसाइज करने के ऐप। ये सभी ऐप कहते हैं कि आपको मंथली पेमेंट करना होगा।

    कोई भी मंथली सब्सक्रिप्शन का अमाउंट शायद देखने में छोटा लगे मगर वो मंथली सब्सक्रिप्शन जब हर महीने कटेगा तो एक बड़ी रकम बन जायेगी। ज्यादातर कंपनियां आपसे पेमेंट ऑटो डेबिट के माध्यम से लेती हैं।

    ऑटो डेबिट का मतलब है हर महीने बिना आपको बताए पैसा आपके खाते से कट जायेगा। कंपनियां आपके क्रेडिट कार्ड/ सेविंग्स अकाउंट की जानकारी पहले ही सब्सक्रिप्शन शुरू करने पर ले लेती हैं।

    और फिर हम याद रखें पेमेंट करना या ना करना, कंपनियां अपना हिसाब बड़े टाइम से कर लेती हैं। ये डिजिटल दुनिया का सबसे बड़ा अशीरवाद मिला है की ग्राहक पेमेंट करना ना चूके, चाहे सर्विस यूज करना चूक जाए।

    मैने अपने सभी ऑटो डेबिट्स की सूची बनाई। मैने पाया कि ज्यादातर ऐप्स की पेमेंट्स कुछ सैकड़ों में थी मगर जब मैने पिछले दो तीन साल का पेमेंट रिकॉर्ड निकाल कर उसे जोड़ा तो मेरे होश उड़ गए। कई हजार रुपए मुझे हमेशा के लिए छोड़ चुके थे।

    शायद इतना पैसा मैं अगर जोड़ने की भी सोचता तो मुश्किल आती लेकिन देने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी । छोटी छोटी 200 – 300 रुपए की मंथली RD कौन डालने की सोचेगा। हम लोग तो उसे सेविंग्स ही नहीं मानेंगे।

    लेकिन उस दिन सन्डे को मेरी आंखें फटी रह गईं। और मैने फिर तय किया कि ऑटो डेबिट मैंडेट हटाकर मंथली खुद पे करूंगा। और ऑटो डेबिट्स वहां लगाऊंगा जहां पैसे मेरे पास आएं जैसे म्यूचुअल फंड के एसआईपी (SIP) प्लान, मंथली RD इत्यादि।

    अब लाइफ में सुकून है कि जो पैसे मैं ऑटो डेबिटस में दान कर दे रहा था अब वो मेरे निवेश में और मेरी रिटायरमेंट में काम आएंगे।

  • बिना बताए भी आपकी जेब काटने के तरीके हैं।

    बिना बताए भी आपकी जेब काटने के तरीके हैं।

    हाल ही में मैं इंडिया कॉफी हाउस के रेस्टोरेंट में गया। यहां पर अक्सर जाया करता हूं। कॉलेज के दिनों से। आप इंडिया के किसी भी इंडिया कॉफी हाउस में चले जाएं , आपको वही स्वाद इडली का और दोसे का मिलेगा।

    इसलिए जब भी कहीं बाहर गया, सबसे पहले इंडिया कॉफी हाउस का रेस्टोरेंट ही खोजता हूं। आप अब समझ गए होंगे कि इंडिया कॉफी हाउस मेरे दिल के कितने करीब है।

    वहां पर सर्विस भी बढ़िया मिलती आई है मगर पिछली बार कुछ मेरे साथ ऐसा हुआ कि मेरा मन खट्टा हो गया।

    जब भी आप कहीं रेस्टोरेंट में जाते हैं तो वहां पर आपको बिठाने के बाद सबसे पहले पानी पूछा जाता है। इंडिया कॉफी हाउस के सर्विस बॉयज भी आज तक ऐसा ही करते आए थे। वो आपके सीट पर बैठने के बाद तुरंत आपके सामने रखे ग्लास में पानी डालते और फिर उसके बाद आपको मेनू कार्ड देते। और आपका ऑर्डर लेते।

    आजकल कई लोग पैकेज ड्रिंकिंग वाटर मांगते हैं। मैंने भी कई बार पैकेज ड्रिंकिंग वाटर की मांग की है और उसके लिए से किया है। जाहिर सी बात है कि यदि आप के सादा पानी के बजाय जो फ्री में दिया जाता है की जगह पैकेज ड्रिंकिंग वाटर की मांग करेंगे तो आपको पे भी करना ही होगा।

    लेकिन अब इंडिया कॉफी हाउस ने एक ऐसा ट्रेंड शुरू किया है कि आप की जेब कटेगी लेकिन आपको पता कटने के बाद चले। अब उनकी टेबलों पर कोई पानी का ना तो ग्लास ही दिखेगा और ना ही जग।

    आपको अब सादे पानी की बजाय एक 200 ml की पानी की बोतल मिलेगी। ये बोतल ठीक उसी समय आपके टेबल पर आपको परोसी जाएगी जब आप बैठते हैं और आपको सादा पानी ऑफर होते आ रहा है। आप भी सोचकर पी लेंगे कि ये तो छोटी सी 200 ml की बोतल इंडिया कॉफी हाउस की तरफ से फ्री में दी गई होगी।

    मगर इस भ्रम में ना रहें क्योंकि जब आप अपना बिल पे करेंगे तब आपको आपके बिल में उसका चार्ज जुड़कर आएगा।

    है ना ये मिलियन डॉलर आइडिया ठगी का। आप जरा सोचिए कि पानी के कांच के ग्लास , साफ पीने का पानी और उसको रखने के लिए जो बड़े बड़े गैलन लगते थे और उन पर जो खर्च आता था अब वो इंडिया कॉफी हाउस का और पैकेज ड्रिंकिंग वाटर कंपनियों के लिए आपसे ठगी का कितना शानदार रास्ता बन गया।

    जहां पर इंडिया कॉफी हाउस को अभी तक खर्च करने पड़ते थे वहीं अब उससे वो कमाएंगे।

    उनसे पूछने पर उन्होंने बताया कि वो इसलिए बोतल देते हैं क्योंकि गर्मी है और लोगों को ठंडा पानी पसंद है।

    मेरा ये कहना है कि फिर आप 200 ml नहीं पूरी एक लीटर बोतल रखिए और ग्राहक को बता दीजिए कि उसका चार्ज लगेगा। लेकिन उनको पता है कि ऐसा करने पर बवाल मचेगा। इसलिए बोतल का साइज छोटा रखा है ताकि आपकी जेब थोड़ी सी ही कटे जिसको आप माइंड भी ना करें।

    मगर मेरा ये कहना है कि आपने फ्री पानी की जगह चार्जेबल आइटम ऑफर करना शुरू किया तो कृपया उसे ग्राहक को स्पष्ट करें ताकि मुझ जैसे ग्राहक जो इंडिया कॉफी हाउस के लॉयल कस्टमर हैं वो इंडिया कॉफी हाउस से अपनी बेइंतहां मोहब्बत सिर्फ इसलिए न तोड़े क्यूंकि आप बिना बताए जेब काट रहें हैं।

  • क्रेडिट कार्ड क्या होता है

    क्रेडिट कार्ड क्या होता है

    आइए इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेंगे कि क्रेडिट कार्ड क्या होता है और उसके बाद जानेंगे कि क्रेडिट कार्ड को हम कैसे इस्तेमाल करें।

    क्रेडिट कार्ड क्या है ?

    क्रेडिट कार्ड को आम तौर पर हम एक कार्ड के रूप में ही देखते हैं। ये एक डेबिट कार्ड की तरह ही दिखता है और इसका इस्तेमाल भी डेबिट कार्ड की तरह ही किया जाता है। लेकिन फिर भी ये डेबिट कार्ड नहीं कहलाता!

    क्रेडिट कार्ड में पहला शब्द जो कि क्रेडिट है , ये अंग्रेज़ी का शब्द है जिसका बैंकिंग भाषा में मतलब होता हैं लोन या उधार। आपका डेबिट कार्ड आपको अपने ही बैंक खाते से पैसे निकालने देता हैं। क्रेडिट कार्ड ठीक उसका उल्टा करता है। क्रेडिट कार्ड में जो राशि उपयोग में लाई जाती है वो उधार की होती है।

    क्रेडिट कार्ड की राशि बैंक के द्वारा आपको दी जाती है। है ना दिलचस्प। Just like a debit card!

    इस तरह क्रेडिट कार्ड एक ऐसा कार्ड है जो आपको बैंक से उधारी पर राशि उपयोग करने की सुविधा देता है। कुछ नियम और शर्तों के साथ।

    क्रेडिट कार्ड पर कितना उधार मिल जाता है

    क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाली राशि की लिमिट बांधी जाती है। कहने का मतलब है कि क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाली राशि निर्धारित की जाती है। इसे क्रेडिट लिमिट कहते हैं। आप क्रेडिट लिमिट तक कार्ड को यूज कर सकते हैं। कितनी भी बार , बार बार ।

    कितनी बार , बार बार कैसे ?

    क्रेडिट कार्ड पे आप को बैंक से पैसा उधार मिलता है। इसको चुकाने का तरीका समझते हैं अब,

    लेकिन उसके पहले कुछ बातें आपको बताना चाहूंगा:

    क्रेडिट साइकल

    क्रेडिट कार्ड की एक स्टेटमेंट साइकल होती है। जैसे बिजली का बिल , आपके पोस्ट पैड फोन का बिल, बच्चों की स्कूल की फीस की समय अवधि निर्धारित की जाती है वैसे क्रेडिट कार्ड का भी एक निर्धारित चक्र होता है। आम तौर पर ये क्रेडिट चक्र 30 से 45 दिनों का होता है।

    इसी समय निर्धारित चक्र को क्रेडिट साइकल या क्रेडिट चक्र कहते हैं।

    फाइनेंस चार्ज

    क्रेडिट कार्ड पर लगने वाले ब्याज को जिनसे चार्ज कहते हैं। फाइनेंस चार्ज क्रेडिट कार्ड की स्टेटमेंट पर दर्शाया जाता हैं।

    कार्ड स्टेटमेंट

    क्रेडिट साइकल पूरी होते ही उस समय अवधि की स्टेटमेंट जारी होती है। ये स्टेटमेंट क्रेडिट कार्ड पर हुए ट्रांजेक्शन, लगाए गए चार्जेज, रिफंड, रिवार्ड पॉइंट्स इत्यादि दर्शाती है।

    अब आते हैं कि क्रेडिट कार्ड को कितनी बार और कैसे इस्तेमाल करते हैं।

    क्रेडिट कार्ड को आप कैश और नॉन कैश, दोनो तरह के ट्रांजेक्शन के लिए इस्तेमाल करते हैं। आम तौर पर क्रेडिट कार्ड को ऑनलाइन और ऑफलाइन शॉपिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो नॉन कैश की कैटेगरी में आयेंगे।

    ऑनलाइन में आप अपना क्रेडिट कार्ड amazon, Flipkart, Myntra, Zomato, Ola या किसी और भी ऑनलाइन वेबसाइट या मोबाइल ऐप से शॉपिंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। आप क्रेडिट कार्ड से रेल टिकट, फ्लाइट टिकट, बस टिकट भी बुक कर सकते हैं।आप ऑनलाइन फीस जमा कर सकते हैं और बिजली, पानी, इंश्योरेंस का भुगतान भी कर सकते हैं। आप क्रेडिट कार्ड से अपना JIO का डाटा पैक भी रिचार्ज चार्ज कर सकते हैं।

    मतलब आज की ऑनलाइन दुनिया में क्रेडिट कार्ड जिंदाबाद।

    जब आप किसी दुकान में जाते हैं तो वहां पर भी जो स्वाइप करने वाली मशीन रहती है , उस पर भी आप क्रेडिट कार्ड स्वाइप करके पेमेंट कर सकते हैं।

    आप अपनी गाड़ी में पेट्रोल भरवा सकते हैं। जो पेट्रोल पंप वाला होता है उसके पास POS मशीन होती है जिस पर क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन किया जाता है।

    पेट्रोल पंप पर कार्ड से पेमेंट

    क्रेडिट कार्ड से कैश एडवांस

    क्रेडिट कार्ड से आप कैश भी निकाल पाते हैं। आपको क्रेडिट कार्ड से पैसे निकालने के लिए एटीएम जाना होगा। एटीएम पर आप जैसे डेबिट कार्ड से पैसे निकालते हैं उसी तरह से क्रेडिट कार्ड को कार्ड स्लॉट में डालकर , दिए गए पिन को डालकर पैसे निकाल सकते हैं।

    बस ध्यान रहे की क्रेडिट कार्ड से कैश की सेवा आपको महंगी पड़ेगी। इसलिए बहुत ही जरूरी हो तभी क्रेडिट कार्ड से कैश निकालें।

    क्रेडिट कार्ड की लिमिट कैसे तय होती है

    जैसे कि आपको पहले बताया गया कि आप के क्रेडिट कार्ड पर आपको एक निर्धारित राशि मिलेगी। इसे कार्ड की लिमिट कहते हैं।

    इस लिमिट को तय किया जाता है आपकी इनकम को ध्यान में रखते हुए। क्रेडिट कार्ड की लिमिट फिक्स करने का कोई एक फॉर्मूला नहीं है। क्रेडिट कार्ड देने वाला बैंक अपनी एनालिसिस करके कार्ड पर लिमिट देगा मगर जितनी ज्यादा आपकी महीने की या साल की इनकम होगी, आपकी कार्ड लिमिट की उतनी ज्यादा पात्रता बनेगी।

    क्रेडिट कार्ड के लिए कैसे अप्लाई करें

    देश में कई बैंक और कई सारी क्रेडिट कार्ड कंपनियां है जो क्रेडिट कार्ड देती हैं। आप किसी भी कार्ड कंपनी या अपने बैंक जहां आपका बैंक अकाउंट है , वहां से क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं।

    आप एक से ज्यादा बैंक का क्रेडिट कार्ड भी रख सकते हैं। बस ध्यान रहे की क्रेडिट कार्ड का पैसा बैंक की उधारी है जिसे आपको चुकाना होगा। इसलिए कार्ड की लिमिट और इस्तेमाल बहुत सोच समझ के करें।

    कई लोग क्रेडिट कार्ड को खतरा मानते हैं , क्यों ?

    ये शिकायत बहुत सारे क्रेडिट कार्ड यूजर्स की होती है कि क्रेडिट कार्ड का उसे करके वो क्रेडिट ट्रैप में फंस गए हैं। इसकी वजह होती है की वो क्रेडिट कार्ड को सही तरह से इस्तेमाल करना नहीं जानते। वही बात हो गई कि नाच ना जानो तो आंगन टेढ़ा ही मिलेगा।

    क्रेडिट कार्ड को मैने भी इस्तेमाल किया है और सच बताऊं तो मेरे पहले क्रेडिट कार्ड के साथ मेरा भी अनुभव बड़ा बेकार रहा। मैंने जैसे तैसे करके उसे बंद किया। मैंने फिर क्रेडिट कार्ड को सही सही तरह इस्तेमाल करना सीखा और अब मेरा दूसरा कार्ड मेरे लिए एक वरदान साबित हो रहा है क्योंकि मैं अब कार्ड को इस्तेमाल सोच समझकर करता हूं।

    जो लोग क्रेडिट कार्ड के खिलाफ शिकायत करते हैं वो सबसे बड़ी गलती ये करते हैं की वो क्रेडिट कार्ड को डेबिट कार्ड की तरह इस्तेमाल करते हैं।

    क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल शुरू करने से पहले आप कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें , जैसे :

    आपको पता होना चाहिए कि आके क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट साइकल कितने दिनों की है और कब से कब तक है। आपको क्रेडिट साइकल के बारे में इसलिए पता होना चाहिए क्योंकि उससे आप क्रेडिट कार्ड का पेमेंट सही समय पर कर पाएंगे।

    दूसरी बात ये है कि कार्ड का पेमेंट जैसे ही क्रेडिट साइकल खत्म हो , तुरंत और पूरी राशि का कर दें। ऐसा करने से आपको ब्याज नहीं देना पड़ेगा। हम गलती ये कर बैठते हैं कि क्रेडिट कार्ड पर पेमेंट पूरा नहीं करते।

    क्रेडिट कार्ड में और एक आम लोन में ये एक बहुत बडा फर्क है कि कार्ड पर आप यदि पार्ट पेमेंट करते हैं तो भी ब्याज पूरे अमाउंट पर लग जाता है और फिर ब्याज पर ब्याज लगते लगते बहुत ज्यादा ब्याज देना पद जाता है।

  • EPFO ke Baare mein(ABOUT EPFO in Hindi)

    कुछ समय से लगातार खबरों में रहने से अब एक शब्द जो लगातार गूगल किया जा रहा है वो है – EPFO

    क्या है EPFO और ये किस तरह जुड़ी है हमसे | क्या हमें EPFO के बारे में पता होना चाहिए | कौन हैं वो जिनको EPFO से जुड़ी जानकारी पता होनी चाहिए जिससे वो अपनी लाइफ को secure कर सकें|  

    EPFO क्या है ?

    EPFO एक संगठन है | EPFO का full form है – Employees Provident Fund Organisation. इन्ही चार शब्दों के पहले अक्षरों को निकालकर बना है EPFO.  हिंदी में EPFO को कहते हैं – कर्मचारी भविष्य निधि संगठन| EPFO का head office दिल्ली में है और हर राज्य में EPFO का ऑफिस है | और total 127 offices हैं पूरे देश भर में |   

    कब हुई EPFO की शुरुआत ?

    EPFO को parliament के एक्ट के अंतर्गत सन 1952 में शुरू किया गया| EPFO एक स्वायत्त संगठन(autonomous body) है|  ये केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है|  लेकिन सभी फैसले EPFO के trustees, राज्य सरकार, केंद्र सरकार, कर्मचारी और उनके मालिक संस्थान मिल बैठ कर सहमति से करते हैं|

    EPFO क्या काम करता है 

    EPFO organised sector के गैर सरकारी आद्योगिक संस्थानों जैसे मिल, फैक्ट्री, सेवा संस्थान इत्यादि के कर्मचारियों के लिए 3 प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है|  सामाजिक सुरक्षा का मतलब सरल शब्दों में  है कि कर्मचारियों को सम्मान से अपनी जिंदगी चलाने के लिए जो न्यूनतम आर्थिक व्ववस्था चाहिए उसके लिए संस्थागत सहयोग या कहें कि हेल्प प्रदान करने का काम करता है EPFO.   

    3 सामाजिक सुरक्षा योजनायें जो EPFO चलाती है, वो इस प्रकार से हैं:

    1. Employees Provident Fund Scheme(EPF)  – कर्मचारी भविष्य निधि योजना 
    2. Employees Pension Scheme(EPS)  – कर्मचारी पेंशन योजना   
    3. Employees Deposit Linked Insurance Scheme(EDLI) – श्रम धन बीमा योजना

    क्या सभी कर्मचारियों के लिए EPFO जरुरी है    

    इस सवाल को हम यूँ भी पूँछ सकते हैं कि वो कौन से वर्ग के कर्मचारी हैं जिनके लिए EPFO की योजनाएं लागू होंगी? 

    किसी भी श्रमिक संस्थान जैसे factories, offices, retail chains, होटल इत्यादि जहाँ 20 या उससे अधिक श्रमिक काम करते हैं, उन्हें EPF&MA Act, 1952 के अनुसार EPF में रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी है|  जो नहीं कराएँगे, उनके खिलाफ legal action लिया जा सकता है|  

    ऐसे कर्मचारी जो सैलरी पाते हैं, EPF स्कीम के लिए पात्र हैं | साथ में ऐसे कर्मचारी जो 15000/- रुपये तक की सैलरी पाते हैं उनको EPS यानि कर्मचारी पेंशन योजना में रजिस्ट्रेशन compulsory है| जिनकी सैलरी ज्यादा है वो भी रजिस्टर कर सकते हैं मगर उनके लिए compulsory नहीं है|  

    EPF स्कीम basic pay plus DA पर लागू होती है|  इसमें कर्मचारी और उनके मालिक, दोनों की तरफ से आंशिक अनुदान होता है| अभी आंशिक अनुदान का प्रतिशत 12-12 % है |             

    EPFO की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से कर्मचारियों को कैसे फायदा मिलता है

    कर्मचारी या कहें workers पूरी तरह अपने मालिक या उसकी कंपनी पर डिपेंडेंट होते हैं| और जब वो काम छोड़ते हैं तो उसके पास अपनी खुद की बचत होनी चाहिए | तभी वो अपने सेल्फ रेस्पेक्ट के साथ ज़िन्दगी जी पाएँगे | 

    कर्मचारी समुदाय को अक्सर बचत करने की habit नहीं होती|  उनके पास जितने पैसे आते हैं वो सब खर्च हो जाते हैं| यूँ मानें कि पैसों के पैर लगे होते हैं|  आये नहीं कि चल दिए|  इसलिए EPFO महीने की सैलरी से एक अंश पहले ही काटकर अलग कर देता है और उसे सुरक्षित जमा कर लेता है|  और फिर उस बचत पर सालाना ब्याज दिया जाता है | इससे कर्मचारी के नाम से बचत हो जाती है जो मुश्किल समय आने पर काम आती है| 

    मौजूदा आंकड़ों के अनुसार EPFO में तकरीबन 69 Mn(7 करोड़) subscribers जुड़े हैं| और EPFO के पास लगभग 209 Bn Dollars( 1. 67 लाख करोड़ रुपये) का corpus है | ये corpus LIC के corpus के बाद दूसरे नंबर पर आता है| 

  • केपिटल गेन अकाउंट क्या होता है (Capital Gain Account in hindi)

    केपिटल गेन अकाउंट क्या होता है (Capital Gain Account in hindi)

    इस ब्लॉग पोस्ट में जानेंगे की केपिटल गेन अकाउंट क्या होता है और इसके क्या फायदे हैं |

    रमेश ने अभी कुछ दिनों पहले अपनी एक प्रॉपर्टी जो दूसरे शहर में थी, उसे बेंच दी है| दूसरे शहर में दिक्कतें आ रहीं थीं| सो अब वो चाहता है कि उसी पैसों से वो अपने खुद के शहर में कोई अच्छी सी प्रॉपर्टी खरीदे|

    लेकिन फिलहाल उसे बेंचने के लिए खरीदार मिल गया और अच्छे दाम मिल रहे थे | तो उसने प्रॉपर्टी निकल दी | और उसे उसके लिए एक मोटी रकम मिली है| इतनी रकम को वो नई प्रॉपर्टी में लगाना चाहता है लेकिन फिलहाल वो प्रॉपर्टी खोज रहा है |

    इस लिए वो चिंतित है कि जो उसके पास इतना बड़ा फंड आया है उसे टैक्स से तब तक कैसे बचाए| तो क्या कोई उपाय है जिससे उसकी ये प्रॉब्लम हल हो सकती है|

    केपिटल गेन क्या है

    तो सबसे पहले जान लेते हैं कि रमेश के पास जो प्रॉपर्टी सेल से पैसा आया उसे Income tax की भाषा में कौन सी इनकम में कैसे categorize करते हैं |

    जब कभी इस तरह से प्रॉपर्टी की सेल करने से पैसे मिलते हैं उसे केपिटल गेन की कटेगरी में रखा जाता है| और केपिटल गेन के ऊपर टैक्स के लिए अलग से नियम हैं|

    इनकम टैक्स के नियम (इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 54 के अनुसार) में एक प्रोविजन ये है कि यदि केपिटल गेन को फिर से प्रॉपर्टी खरीदने में इस्तेमाल करेंगे तो उस पर कोई टैक्स नहिं लगेगा| इसके लिए तब तक आपको ये पैसे एक ऐसे अकाउंट में रखने होंगे जिस पर आपको टैक्स ना लगे|

    इस तरह की जरूरत को पूरा करने के लिए बैंक में केपिटल गईं अकाउंट खोलने की सुविधा होती है| आपको बैंक में केपिटल गेन से मिले पैसे को रखने में और उस पर टैक्स बचाने के लिए इससे बढ़िया दूसरा विकल्प नहीं |

    केपिटल गेन अकाउंट की बैंक में सुविधा

    केपिटल गेन को बैंक में आप डिपॉजिट करके तब तक रख सकते हैं जब तक आप उस पैसे से दूसरी कोई प्रॉपर्टी ना ले लें | लेकिन ये समय अवधि की समय सीमा अधिकतम 3 साल है|

    आप 3 साल तक के लिए केपिटल गेन अकाउंट डिपॉजिट स्कीम में पैसे रख सकते हैं | इन्हीं तीन सालों में आप उन पैसों से नई प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं| इस दौरान जो भी ब्याज बनेगा उस पर आपको कोई भी टैक्स नहिं देना होगा|

    केपिटल गेन अकाउंट कैसे खोलें

    केपिटल गईं अकाउंट स्कीम में पैसे जमा करने के लिए आपको किसी भी सरकारी बैंक में जाना है| वहाँ पर आपको उनसे ये बात बतानी होगी कि आप केपिटल गेन खाता खुलवाना चाहते हैं|

    केपिटल गेन अकाउंट को आप सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में खोल सकते हैं| इस तरह केपिटल गेन अकाउंट के लिए आपको वही फॉर्म भरना होगा जो आप समान्य सेविंग या फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट को खुलवाने के लिए यूज करते हैं|

    और उसके साथ आपको एक फॉर्म अलग से भरना होगा जिसमें आप अपने कैपिटल गेन के स्रोतों के बारे में बताएंगे|इस फॉर्म को इनकम टैक्स ऐक्ट के तहत भरवाया जाता है|

    SBI Capsgain plus account

    भारतीय स्टेट बैंक में आप केपिटल गेन के लिए SBI Capsgain plus अकाउंट खुलवा सकते हैं|

    SBI में अकाउंट खोलने के लिए आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें :

    https://sbi.co.in

  • गारंटी और वारंटी के बीच क्या अन्तर है (guaranty aur warranty mein antar in Hindi)

    गारंटी और वारंटी के बीच क्या अन्तर है (guaranty aur warranty mein antar in Hindi)

    सबसे पहले समझते हैं कि गारंटी और वारंटी क्या होते हैं?

    क्यूँ है जरूरी गारंटी या वारंटी

    जब आप कोई प्रोडक्ट मार्केट से खरीदते हैं तब आपको प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी उसकी गुणवत्ता को आश्वस्त करने के लिए कुछ वायदे करती है| गारंटी और वारंटी देने के पीछे ये मकसद रेहता है कि खरीदार उनके प्रोडक्ट पर भरोसा कर सके|

    ग्राहक के मन में कई सवाल उठते है| ग्राहक कोई सामान खरीदने से पहले सोचता है कि वो उसे क्यूँ ले | क्या पता जो ले रहा है उसमे दम है कि नहिं| ऐसी कई अटकलें ग्राहक के मन में रहती है|

    और उन्हीं अटकलों को दूर करने के मकसद से कंपनी after sales service पर जोर देती है अपनी गारंटी और वारंटी देकर| इससे ग्राहक को भरोसा बनता है कि माल बेचकर कंपनी अपना पल्ला नहिं झाड़ेगी|

    गारंटी और वारंटी से ग्राहक और कंपनी के बीच बेहतर सम्बंध बनते हैं|

    गारंटी मतलब या तो पैसे वापस या फिर सामान

    गारंटी का मतलब है कि कंपनी ने आपसे वादा किया कि अगर उनके सामान में कोई भी खराबी आती है तो उसके लिए कंपनी खुद जिम्मेदार होगी और ग्राहक को इसके लिए या तो पैसे वापस कर दिए जाएंगे या फिर कंपनियां अपना सामान की दूसरी प्रति फ्री में ग्राहक को देगी |

    वारंटी का मतलब सामान कि देख-रेख

    वारंटी मतलब कंपनी ने वादा किया है कि सामान खरीदने के बाद भी उसकी देख रेख की जिम्मेदारी कंपनी लेगी| यदि कंपनी के माल में किसी वजह से कोई खराबी आई तो उसके लिए कंपनी या तो फ्री में या फिर डिस्काउंट रेट पर सर्विस देगी|

    जैसे आप जब मोटर साइकिल या कार खरीदते हैं तो आपको कुछ सर्विस फ्री में मिलती हैं और फिर कुछ सर्विस डिस्काउंट पे|

    गारंटी से जुड़ी शर्तें भी होती हैं

    हम अक्सर गारंटी सुनते ही खुश हो जाते हैं मगर हम खुश होने से पहले गारंटी की शर्तों को ध्यान से पढ़ लें | ध्यान से पढ़ने के बाद हमें पता चल जाएगा कि हमें क्या सचमुच वो फायदे मिल रहे हैं जिसके बारे में हम गारंटी समझकर भरोसा कर रहे थे|

    ऐसा हमें इसलिए करना चाहिए क्यूंकि कई बार कंपनी गारंटी शब्द इस्तेमाल तो कर लेती है अगर फिर अपनी शर्तों में ऐसी बातें लिख देती है कि उनकी शर्तें झूठी और खोखली निकालती हैं|

    वारंटी में पैसे वापस नहिं होते और ना ही सामान को वापस लिया जाता है या फिर दिया जाता है|

    वारंटी के नाम पर कंपनी आपको 3 से 4 साल तक का कवर देने का वायदा करती है मगर आपको ये बात समझना जरूरी है कि वारंटी काल में भी यदि कुछ होता है तो जरूरी नहिं कि कंपनी उसको ठीक कर ही देगी| वारंटी में भी नियम और शर्तें लागू होंगी|

    इस तरह चाहे गारंटी हो या वारंटी, आपकी जरूरत हो ही सकते हैं या फिर नहिं| ये इस बात पर निर्भर करेगा कि आप क्या ले रहे हैं और आपको उनकी शर्तों के बारे में पूरी तरह पता है कि नहिं |

    कई बार कम्पनियां extended वारंटी के नाम पर आपको service package बेंच देती है जोकि आपको शायद कोई जरूरत भी नहिं होती| इसलिए ध्यान रखें कि आपको extended वारंटी की जरूरत पड़ने पर आपके कंपनि ने जो वादा किया है वो उसको पूरा कर सके तभी आगे बढ़ें|

  • प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना क्या है (PMJJBY Pradhan Mantri Jiwan Jyoti Beema Yojana in Hindi)

    देश की अर्थव्यवस्था में खुद को यदि हम सुरक्षित कर लेते हैं तो हमारी अर्थव्यवस्था भी सुरक्षित है| क्यूंकि ऐसा कर लेने से ना सिर्फ आपके पैसे बचते हैं ब्लकि आप आप अपनी देश की सुरक्षा के भागीदार बन सकतहैं|

    देश की सरकार को कई करोड़ों का चूना लगता है हितग्राही पीड़ित तक राहत का पैसा पहुंचाने में | इसी बात को ध्यान में रखते हुए देश के ऐसे लोग जो अभी बैंकिंग और आर्थिक से नए जुड़े हैं उनको सामाजिक स्तर पर सुरक्षा दे पाए|

    इसी लिए आपके पास सुरक्षा बीमा के बाद जीवन ज्योति बीमा योजना को उचित कीमत पे उपलब्ध कराया गया है|

    कितने का बीमा होता है

    जीवन ज्योति बीमा योजना आपको दो लाख रुपये तक – 2 लाख रुपये का कवर देती है | ये पैसे किसी भी आकस्मिक जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त होती है|हालांकि महँगाई तो इतनी बढ़ गई है कि लगता है कितने दिन परिवार की सहायता करेंगे |

    मगर जरा सोचिए कि जब आपकी जेब में एक पैसे नहिं होते तो बस या ट्रेन में सफर करते समय कोई आपके लिए टिकट नहिं खरीदेगा| तो फिर क्या होगा हमारे परिवार में यदि जिस दिन हम ना रहेंगे|

    जो अपने परिवार से करे प्यार तो बीमा से कैसे करे इंकार

    Dhansanjivani.in

    क्या क्या कवर होता है जीवन ज्योति बीमा योजना में

    जीवन ज्योति बीमा योजना आपको life कवर देय है | इसमे किसी भी प्रकार की दुर्घटना या अन्य किसी प्रकार से जीवन ज्योति बुझती है तो उसके नॉमिनी को जो स्वाभाविक रूप से परिवार का अहम सदस्य होता है उसको बीमा राशि प्रदान की जाती है|

    क्या कोई भी इसे ले सकता है

    जीवन ज्योति बीमा योजना के लिए बीमा धारक की उम्र 18 साल से लेकर 50 साल के बीच कुछ भी हो सकती है |

    यदि अभी आपकी उम्र 18 साल पूरे नहिं हुए तो आप योजना में पत्र नहिं होंगे| वैसे ही 50 वर्श की आयु पूरे हो जाने के बाद पात्र नहिं रहेंगे |

    हाँ इस उम्र के बीच के कोई भी स्त्री या पुरुष जीवन ज्योति बीमा योजना की पॉलिसी ले सकते हैं|

    कितना प्रीमियम देना होगा

    जीवन ज्योति बीमा योजना में आपको प्रीमियम एक साल के लिए देना होता है| योजना में वार्षिक 1 जून को शुरू होकर 31 मई में खत्म होता है| और इसकी पॉलिसी का प्रीमियम तिमाही के आधार पर लिया जाता है|

    इसको कुछ इस तरह से समझते हैं | यदि आप पहली तिमाही जो 1 जून से स्टार्ट होती है अगस्त तक चलेगी | पहली तिमाही का प्रीमियम है – 436/-रुपये |यदि आप दूसरी तिमाही(सितंबर से नवंबर) में पॉलिसी लेंगे तो आपको 382/- रुपये देने होंगे| तीसरी तिमाही जो दिसंबर से शुरू होकर फरवरी तक चलेगी उसके लिए आपको 228/ रुपये और चौथी तिमाही जो मार्च से अप्रैल तक चलेगी उसमें आपको सिर्फ 114/- रुपये ही देने होंगे|

    जीवन ज्योति बीमा योजना कैसे प्राप्त करें

    आपको JJBY का फायदा लेने के लिए किसी भी बीमा कंपनी में जाने की कोई जरूरत नहिं हैं| आप जिस भी बैंक में अपना बचत खाता रखते हों वहाँ एक बात पता कर लें| सभी बैंकों में जीवन ज्योति बीमा योजना की पॉलिसी उपलब्ध है|

    बस एक बार आपको अपने बैंक खाते में ऑटो डेबिट चालू करवाना है फिर आपको हर साल पैसे बैंक जाकर कटवाने की जरूरत नहिं पड़ेगी|

    आपको तुरंत पॉलिसी भी मिल जाएगी काउन्टर से| आपको कैश नहीं जमा करना है| खाते से पैसे सीधे कट जाएंगे|

  • डिजिटल करेंसी आज से भारत में (Central Bank Digital Currency in Hindi)

    डिजिटल करेंसी आज से भारत में (Central Bank Digital Currency in Hindi)

    पूरी दुनिया डिजिटल मय हो गई है | अब करेंसी को भी डिजिटल होने का समय आ गया है | इसलिए, आज दिनाँक 1 दिसंबर 2022 से भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी का सर्कुलेशन शुरू करने जा रहा है|

    आइए इस ब्लॉग पोस्ट में जानते हैं कि ये डिजिटल करेंसी क्या है और कैसे काम करेगी|

    सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)

    डिजिटल करेंसी भारतीय मुद्रा, इंडियन रूपए का डिजिटल रूप है| मतलब यह कि इसे आप हाथ से छु तो नहिं पाएंगे जैसे कागज के नोट और सिक्कों को छु पाते हैं लेकिन ये काम हू बहु वैसे ही करेंगे |

    जैसे एक रुपये की CBDC का मूल्य काग़ज़ के एक रुपये के बराबर होगा|

    डिजिटल दुनिया में हम अपने बहुत सारे काम अब अपने मोबाइल पर करते हैं| मोबाइल जो स्मार्ट हो गया और जिसे हम अब स्मार्ट फोन कह्ते हैं तक़रीबन सब कुछ करने के काबिल है| वही सबसे बड़ी वजह है कि डिजिटल करेंसी को इस्तेमाल करने का भी समय आ गया है|

    डिजिटल करेंसी भारतीय नागरिक तक कैसे पहुंचेगी

    रिजर्व बैंक को मुद्रा छापने के अधिकार होते हैं| भारतीय मुद्रा को रिजर्व बैंक के सिवा और कोई नहिं छाप सकता या बांट सकता है | भारतीय रिजर्व बैंक की मुद्रा छापने के लिए प्रेस हैं जहां पर कागज के नोट और सिक्के छापे जाते हैं और फिर उन्हें बैंकों को भेजा जाता है|

    बैंक फिर उस पैसे को आम नागरिक तक पहुंचाती है|

    ठीक उसी तरह रिजर्व बैंक का रोल डिजिटल करेंसी में भी रहेगा लेकिन थोड़ा हटके| आइए समझते हैं कैसे?

    डिजिटल टोकन

    सबसे पहले रिजर्व बैंक कागज की करेंसी के बजाय टोकन इशू करेंगे जिन्हें डिजिटल टोकन कहेंगे| ये डिजिटल टोकन कोड के रूप में होंगे और इनको बैंकों को भेज दिया जाएगा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से|

    ये डिजिटल टोकन ठीक उन्हीं काग़ज़ की नोटों के जैसे इशू किए जाएंगे| जैसे 5 रुपये की जगह अब 5 रुपये का डिजिटल टोकन हुआ करेगा| 10 रुपये की जगह 10 रुपये का, 50 रुपये की जगह पचास रुपये का डिजिटल टोकन इत्यादि|

    अब जब ये डिजिटल टोकन इशू होगा तो लोग चाहेंगे कि उन्हें ये टोकन प्राप्त हो तो वो बैंक के डिजिटल वॉल्ट से सीधा बैंक खाताधारक के खाते में ट्रांसफ़र कर दिया जाएगा| कस्टमर चाहे तो उसे अपने डिजिटल wallet जैसे PayTM, PhonePe में या फिर उसे अपने बैंक अकाउंट में कैश की तरह रख पाएंगे|

    उसके अलावा डिजिटल टोकन को QR कोड की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकेगा|

    शुरुआत कैसे की जाएगी

    शुरुआत में अभी ये डिजिटल टोकन या डिजिटल करेंसी जिसे हम CBDC या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के नाम से जानेंगे अभी सिर्फ CUG में इस्तेमाल में आयेगी|

    मतलब ये कि अभी इसे जान मानस तक पहुंचने में कुछ समय लगेगा| CUG मतलब closed user group में इसे इस्तेमाल में लाया जाएगा| CBDC को अभी चुनिंदा शहरों में स्टार्ट कर रहे हैं|

    Phase 1 डिजिटल करेंसी

    अभी इसे टेस्टिंग और फीडबैक के लिए दो चरणों में कुछ select बैंकों में ही चुनिंदा शहरों में स्टार्ट किया जा रहा है| पहले फेस में तीन बैंक – SBI, HDFC और IDFC First को ही डिजिटल टोकन उनके डिजिटल वॉल्ट में रखे जाएंगे| और ये डिजिटल करेंसी सिर्फ चार शहरों में – मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर और भुवनेश्वर में स्टार्ट किया जाएगा|

    Phase 2 डिजिटल करेंसी

    फिर ये करेंसी दूसरे फेस में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोचीन, लखनऊ, पटना और शिमला में और जो बैंक शामिल होंगे वो हैं – ICICI bank, Yes bank, Bank of Baroda, Union Bank of India और Kotak Mahindra Bank.

    डिजिटल करेंसी से क्या वित्त माहौल में बदलाव आयेंगे

    जो सबसे बड़ा बदलाव आने jaa raha गई वो है कि black money का सर्कुलेशन में कमी आयेगी | क्यूंकि डिजिटल रुपये को चुराना या उसकी नकली करंसी बनाना असंभव होगा इसलिए इससे भारतीय वित्त व्यवस्था को मजबूती मिलेगी|

    लेन देन में पारदर्शिता आयेगी|

    क्या CBDC crypto करेंसी है या कुछ और

    CBDC की तुलना crypto से करना गलत होगा क्यूंकि crypto करेंसी किसी भी सेंट्रल बैंक द्वारा नहिं की जाती है| crypto पर देश की सरकारों का कोई कंट्रोल नहिं है|

    crypto करेंसी को चलाने वाले और इस्तेमाल करने वाले ये समझते हैं कि crypto से देश की व्यवस्थाओं से मुक्त किया जा सकेगा और उससे आम इंसान को फायदा होगा लेकिन ये अभी तय नहिं है कि crypto से क्या लाभ मिलेंगे|

    दोनों ही डिजिटल करेंसी हैं लेकिन अभी उनके बीच में डिजिटल के सिवा कुछ भी समान नहिं है|

    आगे अभी देखते हैं कि CBDC का किस तरह प्रचार प्रसार होता है और इससे अर्थव्यवस्था को क्या फायदा मिलता है| आप क्या समझते हैं, नीचे कमेंट्स में बताएं |

  • प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना क्या है (Pradhan Mantri Suraksha Beema Yojana kya hai)

    प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना क्या है (Pradhan Mantri Suraksha Beema Yojana kya hai)

    हमारे देश में ऐसे लाखों करोड़ों लोग हैं जिनके पास अभी बैंकिंग नहिं पहुंची है| लेकिन इस कार्य को अब बैंकिंग जगत ने समझा है| और अब ऐसे लोग जो पहले बैंकिंग चैनल से नहीं जुड़ पा रहे थे अब उन्हें वित्तीय समावेशन के जरिए जोड़ा जा रहा है |

    यदि आप वित्तीय समावेशन की योजनाओं के बारे में जानना चाहते हैं तो आप यहां पढ़ें |

    वित्तीय समावेशन में आप अपना बीमा कवर करवा सकते हैं| बीमा की जरूरत किसको नहीं! बीमा एक ऐसा सुरक्षा कवच है जो हमारे बाद हमारे परिवार की वित्तीय सुरक्षा करता है| तो आइये इस ब्लॉग पोस्ट में जानते हैं ऐसी एक वित्तीय समावेशी योजना के बारे में|

    प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा में कितने का कवर है

    प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना या फिर शॉर्ट में इसे PMSBY कह सकते हैं एक दुर्घटना योजना है| ये बीमा पॉलिसी, पॉलिसी होल्डर को 2,00,000/- रुपये का दुर्घटना बीमा प्रदान करती है|

    यानि कि यदि बीमा धारक को किसी दुर्घटनाग्रस्त होकर पूर्ण अपंगता आ जाए या जीवन छूट जाए तो उनके परिवार से हितग्राही को 2,00,000/- रुपये की बीमा प्रदान किए जाएंगे|

    प्रधान मंत्री बीमा योजना को किस वर्ग के लोग ले सकते हैं

    PMSBY को किसी भी सामाजिक या आर्थिक वर्ग का व्यक्ति ले सकता है| इसमे इंकम का कोई criteria नहिं है|

    आप चाहें प्राइवेट जॉब करते हों या आप किसी सरकारी नौकरी में हों आप इस बीमा योजना को ले सकते हैं|आप यदि नौकरी में नहिं भी हैं तो भी इसे आप ले सकते हैं| आप किसान हों, डाक्टर हों या कोई भी पेशे से हों आप ले सकते हैं|

    यदि दुर्घटना में मृत्यु नहिं होती मगर अपंगता तो क्या फिर भी बीमा राशि दी जाएगी

    PMSBY में पूर्ण अपंगता के लिए भी कवर है | यदि बीमा धारक को किसी भी दुर्घटना में कोई ऐसी चोट लाग जाये कि वो जीवन भार के लिए पूर्ण रूप से अपंग हो जाए तो भी बीमा राशि दी जाएगी| और ये राशि सीधा बीमा धारक के खाते में ही जमा कर दी जाएगी|

    पूर्ण अपंगता में बीमा धारक को 100000/- रुपये दिए जाएंगे|

    प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना में जुड़ने के लिए क्या कोई आयु सीमा है

    PMSBY में जुड़ने के लिए बीमा धारक की आयु 18 साल और 70 साल के बीच में होनी चाहिए| यानी वो 18 साल का पूरा हो गया हो मगर 70 बरस का अभी ना हुआ हो|

    साल में कितनी बार PMSBY का प्रीमियम कटेगा

    बीमा धारक को साल में सिर्फ एक बार का प्रीमियम देना होगा और ये सिर्फ एक साल के लिए ही वैलिड रहेगा| यदि बीमा पॉलिसी को आप बढ़ाना चाहते हैं तो आपको इसे फिर से प्रीमियम जमा करके लेना होगा|

    यहां पर आप एक बढ़िया काम कर सकते हैं| यदि आप चाहते हैं कि आपकी सुरक्षा बीमा पॉलिसी अपने आप हर साल रीन्यू(renew) हो जाए और आपको बार बार खुद जमा ना करना पड़े तो आप ऑटो डेबिट की सुविधा ले सकते हैं|

    ऑटो डेबिट की सुविधा से आप की पॉलिसी हर साल अपने आप नई बन जाएगी| मेरी माने तो पहली बार जब आप सुरक्षा बीमा करवटें तभी ऑटो डेबिट की सुविधा ले लें| इससे आप टेंशन मुक्त रहेंगे |

    PMSBY को लेने के लिए कौन सी बीमा कंपनी में जाना होगा

    आपको किसी भी बीमा कंपनी में नहीं जाना है| आपको सिर्फ अपने बैंक में जाना है और अपने बैंक में ही फॉर्म भरके जमा कर देना है| बैंक खाते से ही आपका बीमा प्रीमियम कट जाएगा और पासबुक में इसकी एंट्री आपको दिखने लगेगी|

    उसके बाद बैंक आपको बीमा पॉलिसी की प्रति तुरंत उपलब्ध करा देगी| ये बीमा पॉलिसी आप को हर साल लेने की जरूरत नहीं | आपके बैंक खाते में इसकी एंट्री भर बहुत है|

    कितना देना होगा PMSBY को लेने के लिए

    आपको PMSBY की पॉलिसी खरीदना के लिए मात्र 20/- देने होंगे वो भी बैंक खाते से| कैश देने की कोई जरूरत नहिं पड़ेगी|

    यदि कुछ हो जाए तो कैसे मिलेंगे पैसे

    प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना में फ़ंड मिलना बहुत असान है| जैसी ही घटना होती है, बैंक को तुरंत 30 दिनों के अंदर सूचना दें| उसके बाद बीमा धारक की पॉलिसी का डेबिट प्रूफ, मृत्यु या disability सर्टिफिकेट, FIR या पंचनामा और नॉमिनी का पहचान फुल KYC और बैंकिंग डिटेल्स देना होगा|

    संपूर्ण प्रक्रिया बैंक द्वारा की जाएगी और नॉमिनी को कहीं जाने की जरूरत नहिं पड़ेगी| एक बार पूरे पेपर जमा करने पर 7-10 दिनों में नॉमिनी के खाते में पैसे आ जाएंगे|

    यदि आपके कोई सवाल या कमेन्ट प्रधान मंत्री बीमा योजना को लेकर हों तो आप नीचे कमेन्ट करें |